हिंदू धर्म के 10 पूजनीय एवं पवित्र वृक्ष
हिंदू धर्म संस्कृत में वृक्षों का विभिन्न अवसर पर विभिन्न रूपों में पूजा किया जाता है । क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वृक्ष मे जीवंत देव होते हैं, इनमें देवताओं का वास होता है।
भारतीय धर्म में ऐसे अनेक पर्व, व्रत व त्यौहार आते हैं जिनमें किसी विशेष वृक्ष या पौधे की पूजा की जाती है। जैसे कि सोमवती अमावस्या के दिन भारत में स्त्रियां पीपल वृक्ष की पूजा करती हैं और उसकी 108 बार जल व अन्य सामग्री अर्पित करते हुए परिक्रमा करती हैं। सोमवती अमावस्या सोमवार युक्त अमावस्या पडने पर मनाई जाती है। इसी प्रकार से अनेक वृक्ष हैं, जो हिंदू धर्म में पवित्र माने गए हैं और पूजनीय हैं।
पूरे विश्व में अत्यधिक प्रख्यात भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को गीता का उपदेश देते देते समय कहते हैं कि मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूं। पीपल के वृक्ष में अनेक देवी देवताओं का वास माना गया है, इसलिए इसे देव वृक्ष की रखा जाता है।100%
वटवृक्ष मूलों तपो वासा:-
पराशर मुनि कहते हैं कि, वट यानी बरगद का वृक्ष, पवित्रतम वृक्ष है। जिसके नीचे ही तपस्याएं करना चाहिए। बरगद का पेड़ भी पूजनीय है। बरगद के पेड़ के नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इसे बोधि वृक्ष भी कहा जाता है।
बरगद के पेड़ के नीचे ही सावित्री ने सत्यवान को यमराज से मुक्त कराया था। इसलिए वट सावित्री व्रत में, इसी बरगद के पेड़ की पूजा, सुहागिन महिलाएं किया करती हैं और अपने पति के दीर्घायु, स्वस्थ जीवन की मनोकमना करती हैं।
बरगद के पेड़ के नीचे ही भगवान शिव समाधि लगाया करते हैं। इसलिए इसे भगवान शिव का प्रतीक भी माना जाता है।
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार पूरे विश्व में सिर्फ बरगद का वृक्ष ही एक ऐसा वृक्ष है, जिसमें त्रिदेवो ब्रह्मा, विष्णु, महेश, निवास किया करते हैं।
बरगद के अलावा भारतीय धर्म में तुलसी, नीम, बेल, आमला, अशोक, आम, पलाश, समी,केला, गूलर, बांस, रीठा आदि को बहुत मान्यता प्राप्त है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों और 27 नक्षत्रों का उल्लेख है। ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति पर इन नव ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव उसकी जन्मतिथि के अनुसार पड़ता है। यह माना जाता है कि हमारे शरीर में जो सूक्ष्मकार चक्र, और ऊर्जा के केंद्र है उन पर इन ग्रहों और नक्षत्रों का प्रभाव पड़ता है। जिस प्रकार से नव ग्रहों और नक्षत्रों के लिए विशेष मंत्र रत्न और रंग होते हैं, उसी प्रकार से इन ग्रहों और नक्षत्रों से संबंधित वृक्ष होते हैं।
नवग्रहों से संबंधित वृक्ष:-
सूर्य ग्रह-- बेल
चंद्र ग्रह-- पलाश
मंगल ग्रह--खैर
बुध ग्रह-- अपामार्ग या चिरचिटा
गुरु ग्रह-- पीपल
शुक्र ग्रह--गूलर
शनि ग्रह-- समी व मदार
राहु ग्रह--दूर्वा व चंदन
केतु ग्रह-- कुशा व अश्वगंधा
27 नक्षत्रों से संबंधित वृक्ष:--
अश्विनी -- कुचला
भरणी-- आंवला
कृतिका-- गूलर
रोहिणी-- जामुन
मृगशिरा-- खैर
आरद्रा-- शीशम
पुनर्वसु-- बांस
पुष्य-- पीपल
आश्लेषा-- नागकेसर
मघा-- बरगद
पूर्वाफाल्गुनी-- पलाश
उत्तराफाल्गुनी-- पाठा
हस्त-- रीठा
चित्रा-- बिल्व पत्र
स्वाति-- अर्जुन
विशाखा-- कटाई
अनुराधा-- मौलश्री
ज्येष्ठा-- चीड़
मूल-- साल
पूर्वाषाढ़ा-- जलवेतस
उत्तराषाढ़ा-- कटहल
श्रवण--- मदार
धनिष्ठा-- समी
शतभिषा-- कदंब
पूर्वाभाद्रपद-- आम
उत्तराभाद्रपद-- नीम
रेवती-- महुआ
यह सभी वृक्षों औषधीय गुणों से भरपूर हैं। जिन्हें हम अधिकांशतः जानते हैं और उनके फल फूल पत्तियों का उपयोग करते हैं ।
यह सभी वृक्षों औषधीय गुणों से भरपूर हैं। जिन्हें हम अधिकांशतः जानते हैं और उनके फल फूल पत्तियों का उपयोग करते हैं ।
वृक्षों के महत्व और उपयोग:-
सभी तरह के वृक्ष महत्वपूर्ण है। वृक्षों के द्वारा ही हमें ऑक्सीजन मिलती है। वृक्ष हमारे लिए बहुमूल्य संपदा है। वृक्षों के भाव में जीवन की कल्पना करना पृथ्वी पर असंभव है।
- सभी वृक्षों में पीपल एक ऐसा देश है जिसमें कीड़े नहीं लगते हैं।
- हिंदू धर्म में पीपल पेड़ को काटना वर्जित माना गया है।
- अशोक के वृक्ष को शोक निवारक कहा गया है। इस बीच का महत्व इसलिए है क्योंकि कहा जाता है कि, माता सीता ने अपने सबसे कष्टप्रद, दुख भरे पल को रावण की स्वर्ण नगरी में अशोक वाटिका के अशोक वृक्ष के नीचे ही रहकर बिताया था।ऐसी भी मान्यता है कि, घर में अशोक का वृक्ष लगाने से वास्तु दोष समाप्त होते हैं।
- बेल का बेल के पेड़ से सभी परिचित हैं। बेल का पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। बेलपत्र की महिमा का बखान बिल्वाष्टकम् स्त्रोत में है। बेल के पेड़ में लगने वाला फल भी पेट संबंधी रोगों के लिए उपयोगी होता है। माता सती ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार में बिल्केश्वर महादेव में बेल पत्रों से उनकी पूजा की थी।
- नीम का पेड़ भी बहुत उपयोगी होता है। इसकी पत्तियों में रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है। नीम के पेड़ को शीतला माता का दुर्गा माता का पेड़ माना जाता है। देवी के मंदिरों में नीम के पेड़ का रोपण किया जाता है। और उसका पूजन भी होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में चेचक निकलने पर नीम पूजन किया जाता है। और उसकी पत्तियों का उपयोग दाग हटाने में किया जाता है।
- फलों का राजा आम से तो सभी परिचित हैं।मांगलिक कार्यों जैसे कलश स्थापना, बंदनवार बनाने में आम की पत्तियों का उपयोग होता है। आम की सूखी लकड़ियों का प्रयोग हवन में होता है। शिवरात्रि के दिन आम के बौर से भगवान शिव की पूजा की जाती है। आम के पेड़ को बेटे के तुल्य माना जाता है इसलिए इसे काटने के लिए वर्जित किया गया है।
- केले के पत्ते और फल का भी बहुत महत्व है केले के पत्ते पर पर भोजन करते है, केले में भगवान विष्णु और और देवताओं के गुरु वृहस्पति का वास माना जाता है। गुरुवार के दिन प्रायः केले के पेड़ का पूजन किया जाता है।
- तुलसी हर घर में पाए जाने वाला पौधा है। इसे हरिप्रिया कहते हैं। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान शालिग्राम का भोग नहीं लगता है। तुलसी के पत्तों के बिना पंचामृत पूर्ण नहीं होता। तुलसी के पेड़ में रोग निवारक और पर्यावरण शुद्धि की क्षमता होती है। तुलसी का पौधा लगभग हर एक भारतीय घर में मिल जाता है और इसकी सुबह-शाम पूजा की जाती है।
- आंवले के पेड़ को भी पूजनीय मानते हैं। अक्षय तृतीया -वैशाख शुक्ल पक्ष एवं अक्षय नवमी- कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा होती है। और इस की छांव में बैठकर भोजन पका कर ग्रहण किया जाता है। इसी प्रकार से फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी मनाया जाता है। आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। आवलों में गुणों की भरमार होती है इसका उपयोग त्रिफला बनाने में भी किया जाता है।