याददाश्त(memory) बढ़ाने के आसान उपाय ।

याद रखने की कला कैसे सीखें ।



मनुष्य  एक ऐसा सामाजिक प्राणी है, जिसे हमेशा कुछ न कुछ याद रखे रहने की जरूरत पड़ती है । इसलिए लोग याददाश्त बढ़ाने के अचूक नुस्खे की तलाश में भटकते रहते हैं । इनमें भी कुछ विद्यार्थीयो को इन दवाओं की ज्यादा जरूरत महसूस होती है । उन्हें लगता है कि हम कैसे जल्दी याद कर ले । हमें कैसे जल्दी याद हो जाए । किस तरह याद किया हुआ फिर से नहीं भूलेगा । ऐसे अनेक सवाल छात्र-छात्राओं के मन में  घूमते रहते हैं । याददाश्त को बढ़ाने के लिए कभी-कभी दवाओं का भी सहारा लेते हैं , और इसी का फायदा उठाकर दवाइयां बेचने वाली कंपनियां आकर्षक विज्ञापन ,चमत्कारी वायदे दे-दे कर, छात्र-छात्राओं की इस जरूरत का व्यवसायिक फायदा उठाते हैं । हमें यह नहीं मालूम कि, जिन्हें वास्तविक रूप से फायदा चाहिए ,उन्हें या फायदा मिलता भी है या नहीं किंतु इतना जरूर है कि याद बढ़ाने का नुस्खा पाने की चाहत हमेशा बनी ही रहती है तो आज हम याद बढ़ाने के कुछ आवश्यक उपायों के बारे में चर्चा करेंगे100%

 याददाश्त बढ़ाने का चमत्कार :-

एक बात हमें अपने मन में अच्छी तरह से बिठा लेनी चाहिए कि संसार में कभी भी कोई ऐसे चमत्कार नहीं होते जो अपने आप ही हो जाया करते हो । संसार में होने वाली सभी घटनाएं किसी ना किसी नियम या व्यवस्था से ही संचालित होती हैं ।भले ही यह भौतिक नियम के अंतर्गत हो या फिर आध्यात्मिक नियमों के अनुसार हो । याददाश्त बढ़ाने का विज्ञान भी कुछ ऐसा ही है,याददाश्त बढ़ाने के संबंध में भी कुछ तकनीकी काम करती हैं । जो इसको जानते हैं, समझते हैं, वे आसानी से इसका उपयोग भी करते हैं । जो इन तकनीकों से अपरिचित है या नहीं जानते हैं, वह इधर-उधर भटकते रहते हैं । अन्य कोशिश करने के बाद भी उन्हें सही समय पर, सही तकनीक नहीं मिल पाती । इसलिए बेहतर है कि उचित तकनीक का इस्तेमाल करें और अपनी याददाश्त को बढ़ा सके । यदि याद करने की विधि, तकनीकी ,को अच्छी तरह से समझ लिया जाए और उसका उपयोग किया जाए । तभी हम याददाश्त बढ़ा सकते हैं । याददाश्त बढ़ना कोई चमत्कार का खेल नहीं है । जो किसी दवाई से या किसी कुछ नियमों के फॉलो करने से हो जाता हो ।

याददाश्त ना बढ़ने की शिकायतें :-

जिनके पास याददाश्त संबंधित शिकायतें होती हैं उनकी कुछ शिकायतें इस प्रकार की होती हैं । वे कहते हुए पाए जाते हैं कि क्या करें याद ही नहीं होता है । याद तो किया था पर भूल गए । न जाने क्यों अच्छी तरह से याद ही नहीं होता । याद तो रहा पर आधा-अधूरा । ना जाने क्या हुआ सब कुछ याद किया कराया एकदम से भूल जाता है । और इसी प्रकार की अनेकों शिकायतों की लंबी लिस्ट उन के पास रहती है जिस से वह परेशान रहते हैं । कुछ लोग यह कहते हुए पाए जाते हैं कि एक ही बार में याद हो जाता है । मैं जितना कुछ भी पढ़ता हूं सब कुछ याद रह जाता है सब कुछ याद हो जाता है । कुछ भी नहीं भूलता है । मुझे तो पुराने जमाने की भी बातें सब कुछ वही की वही याद आती है । आदि-आदि।

स्वामी विवेकानंद की गजब की याददाश्त थी :-

यह कहानी स्वामी विवेकानंद के जीवन से संबंधित हैं, उन दिनों स्वामीजी देश में इधर-उधर भ्रमण किया करते थे साथ में उनके एक गुरु भाई भी रहा करते थे। स्वामी विवेकानंद स्वाध्याय किया करते थे ,सत्संग किया करते थे ,और कठोर तप किया करते थे । इस प्रकार का उनका जीवन चला करता था । जब कभी उन्हें कहीं कोई अच्छी पुस्तक देखने को मिलती थी, तो इनको पढ़ना जरूर चाहते थे । किसी नई जगह पर जाने पर उनकी पहली तलाश अच्छी पुस्तकालय की रहा करती थी । उनके गुरु भाई हिंदी,अंग्रेजी ,संस्कृत की किताब लाकर दिया करते थे । और अगले ही दिन स्वामी जी उनको पढ़कर वापस भी कर दिया करते थे । इस प्रकार प्रतिदिन नई-नई किताबें ले जाने और दूसरे दिन वापस कर देने की वजह से लाइब्रेरियन बड़ा हैरान हो गया, उसने स्वामी जी के गुरु भाई से कहा क्या आप इतनी सारी किताबें केवल देखने के लिए जाते हैं, यदि आप देखना ही चाहते तो मैं इसे यूं ही दिखा देता हूं । रोज इतना वजन ढोने की क्या जरूरत है । लाइब्रेरियन की इस बात को सुनकर स्वामी जी के गुरु भाई ने गंभीरतापूर्वक कहा ।उन्होंने कहा कि आप जो कुछ भी समझते हो ऐसा कुछ भी नहीं है, हमारे गुरु भाई इन सभी पुस्तकों को पूरी गंभीरता से पढ़ते हैं, और फिर वापस कर देते हैं । इस उत्तर से लाइब्रेरियन आश्चर्यचकित होकर के स्वामी जी से मिलने की इच्छा जाहिर की । जब अगले दिन स्वामी जी मिले तो उन्होंने कहा , महाशय आप हैरान ना हो, मैंने न केवल उन किताबों को पढ़ा है बल्कि उनको याद भी कर लिया है । और उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण अंशों को सुना दिया । इस क्षमता से लाइब्रेरियन बहुत प्रभावित हुआ और उसने स्वामी जी के चमत्कारी याददाश्त का रहस्य पूछा। इस पर स्वामी जी ने कहा इसमें न तो कोई चमत्कार है, और ना ही कोई रहस्य है । यह तो बस एक मानसिक तकनीक भर है । इस प्रकार से कुछ तकनीकी का इस्तेमाल कर के अपनी याददाश्त को बढ़ाया जा सकता है ।

 याददाश्त बढ़ाने की कुछ तकनीकें :-

जो कुछ भी पढ़े या सुनें शांत स्थिर और एकाग्र मन से पढ़ें या सुने :-  

याददाश्त बढ़ाने के लिए जरूरी है कि, जो कुछ भी पढ़ा या लिखा जाए या सुना जाए, वह बड़े ही शांत मन से, स्थिर मन से, और एकाग्र मन से किया जाए । वास्तव में हमारी इंद्रियां केवल मन को संदेश भेजने का कार्य करती हैं असली बात तो मन का होता है । मन के धारणा शक्ति, अर्थात कैचिंग पॉवर या जिसे मेधा शक्ति भी कहते हैं, catching power जितनी ज्यादा होगी उतना ही याद रह सकेगा। याद करना या वापस याद आना तो बस एक प्रक्रिया है, जिसे कैचिंग पॉवर या स्मृति या फिर मेधा शक्ति कहते हैं । प्रत्येक व्यक्ति की कैचिंग पॉवर उस व्यक्ति की मानसिक शांति, स्थिरता और एकाग्रता के अनुपात या रेश्यो में होती है । इस कारण हड़बड़ी  मे , अस्थिरता से या फिर बिना मन के पढ़ने से एवं जल्दबाजी में पढ़ने- लिखने या सुनने से या देखने से कोई भी चीज याद नहीं रह पाती हैं । इसलिए हमें जरूरी है कि हम जो कुछ भी पढ़े लिखे या सुने ,वह बड़े ही शांत, स्थिर और एकाग्र मन से सुने या पढ़ें । और इस प्रकार से एकाग्र, शांत मन से पढ़ने, लिखने से हमारी याददाश्त धीरे-धीरे बढ़ने लगती है । और यही एक उत्तम तकनीकी है ।

जो कुछ भी पढ़ा जाए उसे दोहराया अवश्य जाएं :-

पढाई की बातें हमारे मन में जितनी ही गहराई में अंकित होंगी वह बातें उतनी ही गहरी और साफ याद होगी । यदि किसी कारण से जब कोई भी बात एक बार में मन में गहराई तक समझ में ना आ पाए तो उसे दोहराना जरूरी हो जाता है ।इसलिए  पढी हुई बातों को दुहरा लेना अच्छा होता है । और यदि हम कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को या टॉपिक्स को  लिखकर दुहरा ले तो, वह बातें मन में गहराई तक अच्छी तरह से स्पष्ट रूप से अंकित हो जाती हैं । क्योंकि लिखते समय अधिक स्थिरता और एकाग्रता की जरूरत होती है । इसलिए पढी हुई बातों के महत्वपूर्ण टॉपिक्स को लिखकर दोहराना जरूरी होता है । नहीं तो कम से कम एक-दो बार पढ़ना तो जरूरी ही होता है ।

तथ्यों को समझना भी महत्वपूर्ण हैं 

 याद करने के संबंध में महत्वपूर्ण बात यह भी है कि, जिन विषयों या वस्तुओं को याद किया जा रहा है उस विषय वस्तु को सही ढंग से समझ ली जाए। क्योंकि जो तथ्य या सत्य घटनाएं या टॉपिक्स हमारे मन की गहराई में स्थिर हो जाते हैं , हम उन्हें ही याद रख पाते हैं । इसलिए किसी भी विषय ,घटनाक्रम के बारे में रुचि होने के साथ-साथ यह जरूरी है कि उस घटनाक्रम को हम गहराई तक समझ सके । जब हम तथ्यों को गहराई तक समझ कर दोहराने और याद करने की कोशिश करते हैं तो हमें विषय वस्तु सरलता से याद रहने लगते हैं ।

याददाश्त बढ़ाने में सहायक आयुर्वेदिक दवाइयां :-

मनुष्य के ब्रेन का पूर्ण निर्माण बचपन में ही हो जाता है ।इसलिए मानसिक विकास के लिए बचपन में ही उचित आहार एवं विहार का पालन करना सिखा देना चाहिए ।  पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चों को भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों और  फलो का सेवन की आदत बचपन से ही डाल दें । क्योंकि हरी पत्तेदार सब्जी और फल, ड्राई फ्रूट्स, ब्रेन के डेवलपमेंट में सहायक होते हैं । कुछ आयुर्वेदिक औषधियां जैसे कि  शंखपुष्पी , ब्राह्मी वटी , जटामांसी आदि याददाश्त बढ़ाने में सहायक हो सकती हैं । आयुर्वेदिक औषधियों का ही सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श के अनुसार करना चाहिए । ऐसे प्राणायाम जिसमें पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन अंदर ली जाती है का भी नियमित अभ्यास करना सहायक हो सकता है ।क्योंकि ब्रेन में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचने से ब्रेन की कोशिकाएं फ्रेश रहती है । बस दो-चार बदाम का नियमित सेवन हमारे मस्तिष्क को ताकत प्रदान करता है जिससे याददाश्त क्षमता में वृद्धि होती है ।