आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) के अनमोल विचार, चाणक्य कोट्स इन हिंदी

महा पंडित चाणक्य ! इनका पूरा नाम पंडित विष्णु दत्त शर्मा है। जो देखने में काले- कलूटे, कुरूप, बद शक्ल लगते थे । जिन्हें देखकर राजा नंद ने अपनी भरी हुई सभा में उन्हें अपमानित किया था । तब उन्होंने भरी सभा में, वचन दिया था कि हे ! राजा नंद , आज जिस आदमी का तूने अपमान किया है, वह आदमी एक दिन तुम्हारा सर्वनाश करेगा । और यह साधारण सा युवक विश्व की राजनीति में अपना नाम लिखा दिया। विष्णु गुप्त ने एक चंद्रगुप्त को चंद्रगुप्त मौर्य बना दिया। और राजा नंद को पूरी तरह से समाप्त कर दिया । मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के रूप में महा पंडित विष्णु गुप्त शर्मा यानी कौटिल्य यानी चाणक्य को सदा याद किया जाएगा । एक साधारण से व्यक्ति को महाराज बना देने की बुद्धि और शक्ति केवल चाणक्य के पास ही थी । यहां पर हम उन विष्णुगुप्त जिन्हे  कौटिल्य या चाणक्य भी कहा जाता है कि कुछ नीतियों को जानने और समझने का प्रयास करेंगे ।

हम प्रकाश में रहते हुए भी अंधेरे में भटक रहे हैं । और इसका कारण है हमारी अज्ञानता ! ज्ञान ही जीवन को राह दिखाता है। ज्ञान ही प्रकाश है। और ज्ञान से ही मुक्ति की प्राप्ति होती है। अब आप पढ़ रहे हैं आचार्य चाणक्य के कुछ अनमोल विचार :- 100%

# 1- बुरे समय के लिए बचत करना जरूरी है । यह हमेशा याद रखिए कि अच्छा समय हमेशा नहीं रहता। जैसे अंधेरा प्रकाश में बदलता है । उसी प्रकार समय भी बदलता है। इसलिए हमें बुरे समय के लिए बचत करना चाहिए । --🙏आचार्य चाणक्य🙏


# 2 - लक्ष्मी या धन चंचल होती है यह एक स्थान पर कभी नहीं रुकती -- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏


# 3 - जिस गांव देश में आदर व सम्मान ना मिले। जहां पर जीने के साधन ना हो। विद्या प्राप्त करने के स्थान ना हो। वहां पर रहने से कोई लाभ नहीं होता । क्योंकि वहां पर प्राणी अपनी उन्नति नहीं कर सकता है -- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏


# 4 - जिस देश में अमीर लोग ना हो, वेदों को पाठ करने वाले पंडित ना हो ,दयालु राजा ना हो ,और बीमार होने पर दवा- दारू अर्थात वैद्य का प्रबंध ना हो। वहां पर रहना बेकार है।--- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 5 - मित्रता उन लोगों से करनी चाहिए जिनमे निडरता हो। चतुरता हो, त्याग हो ,इस प्रकार की आदतें अवश्य हो। अन्यथा उस देश मे या उन लोगों के पास रहना उचित नहीं होगा।---🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 5 - सोना या धन किसी गंदी जगह पर भी पड़ा हो तो उसे उठा लेना चाहिए ।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏


# 6 - यदि शिक्षा किसी घटिया इंसान से भी मिले, तो लेने में संकोच नहीं करना चाहिए । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 7 - यदि किसी दुष्ट व्यक्ति या निर्धन के यहां भी बुद्धिमान कन्या हो तो, उससे शादी कर लेनी चाहिए । क्योंकि गुण ही सबसे बड़ी विशेषता है ।--- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏



# 8 - लड़की की शादी सदा अच्छे घर में करनी चाहिए । बेटे-बेटी को शिक्षा अवश्य देनी चाहिए।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏


# 9 -  शत्रु सदा उलझन में पडा़ रहे। तभी अच्छा होता है। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# -10 - मित्र को सदा धार्मिक ज्ञान देते रहना चाहिए। समय और योग्यता के अनुसार अपने जीवन के मार्ग को तलाशना चाहिए। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 11 - पागल, बुद्धू, और दुष्ट आदमी से सदा दूर रहो । ऐसे मनुष्य पशु के समान होते हैं । बुरी संगत से दूर रहो ।अज्ञानी को पास न फटकने दो। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 12 - अपने दिल की गुप्त बातें किसी को भी ना बताओ । मन का भेद दूसरों को बता देने वाले लोग सदा ही धोखा खाते हैं । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 13 - मेहनत या परिश्रम करने से इंसान की गरीबी दूर हो जाती है। पूजा करने से पाप दूर हो जाते हैं ।जागते आदमी को किसी का डर नहीं लगता। यदि दो लोग झगड़ पड़े  और उसमें एक खामोश हो जाए, तो झगड़ा मिट जाता है। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 14 - जिस किसी जगह पर झगड़ा हो रहा हो वहां पर कभी भी खड़े नहीं होना चाहिए । क्योंकि कई बार ऐसी झगड़ों में बेगुनाह मारे जाते हैं । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 15 - यदि भयंकर अकाल पड़ जाए तो ऐसे अवसर पर किसी बदमाश से ही मित्रता कर लेनी चाहिए ।क्योंकि बदमाश व्यक्ति अपनी ताकत के बल पर कहीं ना कहीं से खाने की व्यवस्था करेंगा ही ।और इस खाने को वह अपने मित्र को भी अवश्य खिलाएगा। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 16 - पुत्र, मित्र और परिवार के अन्य लोग अक्सर अपने से दूर हो जाते हैं। अच्छे लोगों के साथ रहने में ही लाभ है। पुत्र वंश का नाम रोशन करते हैं। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 17 - हर व्यक्ति को पहले से ही सोचना चाहिए कि :-

वह कौन सा पाप कर रहा है? 

पाप और पुण्य में क्या अंतर है ?

मेरे मित्र कौन हैं और शत्रु कौन हैं ?

मुझे किस कार्य में लाभ हो सकता है किसमें हानि ?

यही सोच कर उसे जीवन का हर कदम उठाना चाहिए। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 18 - हर व्यक्ति को चाहिए कि वह सच्चाई का सहारा ले। यथार्थ का सहारा ले । केवल कल्पना के भय से बुरे परिणामों को सोच कर अपना समय न बर्बाद करें । अपना खून न जलाता रहे । ---- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏


# 19 - यदि जीवन में कोई समस्या आए या खतरा सामने आ जाए, तो डटकर उसका मुकाबला करना चाहिए। किसी भी खतरे या समस्या को सामने देखकर डरना नहीं चाहिए। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 20 -  धनवान या अमीर आदमी को ही अच्छा और गुणवान माना जाता है । धन की पूजा सदा से होती रही है। इसलिए धन तो पास होना ही चाहिए । यदि धन पास हो तो शत्रु भी मित्र बन जाते हैं। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 21 - शेर से 1 ,बगुले से 4 ,कौए से 5 ,कुत्ते से 6 और बाघ से 3 गुणो को सीखना चाहिए :-

 काम भले ही थोड़ा करो, किंतु मन लगाकर करना चाहिए। इंसान को यह गुण शेर से सीखना चाहिए।

 मित्रों का संयम करना समय के अनुसार अपनी शक्ति के काम करने का गुण बगुले से सीखना चाहिए।

 ठीक समय से जागना, सोना ,लड़ना, बंधुओं को जगा देना, झपट कर भोजन करना। यह गुण हमें मुर्गे से सीखना चाहिए।

 संकोच से मैथुन करना, समय-समय पर संग्रह करना, चौकस या चौकन्ना रहना । किसी पर भी विश्वास ना करना।  यह 5 गुण कौवे से सीखना चाहिए ।

बहुत भूख में भी संतुष्ट रहना, गहरी नींद में सोते हुए भी जाग जाना ,मालिक की वफादारी और बहादुरी ,यह सब गुण कुत्ते से सीखना चाहिए ।

बहुत थक जाने पर भी बोझा ढोते रहना, रूखी सूखी घास खाकर भी मालिक और भगवान का धन्यवाद करना, यह सब गुण गधे से सीखना चाहिए।

 ऊपर वाले गुणो को सीखने वाला व्यक्ति सदैव सुखी रहता है। सदैव सुख पाता है । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

#  22 - किसी भी कार्य को आरंभ करने के पश्चात उससे घबराना नहीं चाहिए ।और ना ही उस कार्य को बीच में छोड़ना चाहिए। कार्य तो मानव की सबसे बड़ी पूंजी है ।काम मानव की सबसे बड़ी पूंजी है । काम ही धन का दूसरा नाम है। जो व्यक्ति मन से अपना काम करते हैं , वे सदा सुखी रहते हैं।  --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 23 - यदि संपत्ति या धन का नाश हो जाए । मन की शांति भंग हो जाए। औरत के चरित्रहीन होने का संदेह हो। मन में आग लग रहा हो । इन सब बातों को बुद्धिमान लोग दूसरे को कभी नहीं बताते । जो व्यक्ति ऐसा करने की भूल करते हैं, उनका लोग मजाक उड़ाया करते हैं । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 24 - धन के लेन-देन और व्यापार के हिसाब में, विद्या और साहित्य और ज्ञान के संग्रह करने में। खाने-पीने के व्यवहार में। जो लोग संकोच नहीं करते हैं ,वे सदा सुखी रहते हैं। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 25 - संतोष करने और धैर्य धारण करने से जो सुख प्राप्त हो सकता है वह किसी और चीज से नहीं प्राप्त हो सकता है। संतोष, धैर्य शांति का मूल है। धन के लालच में अंधे होकर मन को जो अशांति मिलती है । कष्ट होता है । यह सब धैर्य और शांति से दूर हो जाते हैं । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 26 - पत्नी काली- गोरी जैसी भी हो, धन कम- ज्यादा जितना भी हो, भोजन जैसा भी मिल जाए ,यह सब यदि समय पर मिल जाए तो सबसे अच्छा होता है । यह सब पा लेने के बाद मनुष्य को यह नहीं भूलना चाहिए कि, उसका एक और कर्तव्य भी है। वह है ज्ञान प्राप्त करना है ,विद्या प्राप्त करना है।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏

# 27 - पहले अपने साधारण शत्रु के अनुकूल व्यवहार करना चाहिए । भयंकर व खतरनाक शत्रु को ताकत से कुचल देना चाहिए। जिससे अपनी जान को खतरा हो उसे कभी भी माफ नहीं करना चाहिए। उसे नष्ट करने में ही लाभ होता है। भलाई है। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 28 - बहुत भले इंसान बनकर जीवन नहीं काटा जा सकता है। भले और सीधे-साधे आदमी को हर कोई दबा लेता है ।उसकी शराफत ,उसकी इंसानियत, उसकी ईमानदारी को लोग पागलपन समझते हैं। जैसे जंगल में सीधे पेड़ों को पहले काटा जाता है । टेढे़- मेढे़ पेड़ों को लोग काटना छोड़ देते हैं। कभी-कभी काटते हैं ।इसलिए आप इतने सीधे भी मत बनिए कि, लोग ही आपको लूट कर खा जाएं।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏

# 29 - हंस केवल वहीं पर निवास करते हैं, जहां पर उन्हें पानी मिलता है। सरोवर या तालाब के सूख जाने पर वह अपनी जगह बदल दते हैं । किंतु प्राणी को ऐसा स्वार्थी नहीं होना चाहिए। उसे अपने स्थान, अपने भलमनसाहत को बार-बार नहीं बदलना चाहिए ।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏

# 30 - सभी देशी आयुर्वेदिक दवाओं में गुरुची या गिलोय को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विश्व के जितने भी सुख हैं , उनमें सबसे अधिक सुख का साधन भोजन माना जाता है। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 31 - मनुष्य का मस्तिष्क के सिर पर होता है। उसमें पाई जाने वाली आंखें मनुष्य के लिए सबसे उत्तम अंग हैं। इसलिए आंखें खुली रखनी चाहिए। और मन मस्तिष्क को सदैव ठंडा रखना चाहिए । इनकी विशेषता से इनकार नहीं किया जा सकता है । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 32 - अपने हाथों से किया गया काम सबसे श्रेष्ठ होता है। मनुष्य को अपना हर काम अपने हाथों से ही करना चाहिए। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 33 - चिंता करने से रोग बढ़ते हैं। दूध पीने से शरीर बढ़ता है। ची से वीर्य बढ़ता है। मांस खाने से मांस बढ़ता है। यह प्रकृति की देन है। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 34 - अपने परिवार के बाकी सदस्यों के साथ प्यार का व्यवहार करें । उनके साथ सदा मीठे बोल बोला करें। बदमाशों के साथ कड़ाई से पेश आएं। अर्थात परिवार में रूखापन छोड़ दे। और और बदमाश लोगों के साथ सीधा पन छोड़ दें।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏

# 35 - भले और विद्वान लोगों से मेल रखें। मित्रता रखें। जरूरत पड़ने पर औरतों से छल करने वाले, यह सब लोग सदा सुखी रहते हैं। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 36 - अंधाधुंध खर्च करने वाले लोग, जो अपनी आमदनी से अधिक खर्च करते हैं। और दूसरों से बेमतलब झगड़ा करने वाले लोग कभी सुखी नहीं रह सकते है। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 37 - जो लोग लेनदेन, पढ़ाई लिखाई हर प्राणी से खुलकर बात नहीं करते हैं । वे सदा आनंद से रहते हैं ।--- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 38 - मनुष्य को यदि मुक्ति प्राप्त करनी है। तो उसे झूठे बंधनों को तोड़ना होगा । और अपने मन का सहारा लेना होगा। मनुष्य के लिए शांति का एकमात्र मार्ग केवल उसका मन है ।और अशांति का भी एकमात्र मार्ग केवल उसका मन है। इसलिए मन को साधिए ।--- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 39 - जिस प्रकार से धरती खोदने से उसमें पानी निकलता है। वैसे ही गुरु की सेवा करने से विद्या प्राप्त होती है। यह बात सदा याद रखें कि गुरु की सेवा के बिना इंसान कभी अच्छी शिक्षा नहीं प्राप्त कर सकता है । गुरु सर्वोपरि है। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 40- सदा दूसरों का भला करो । स्वार्थ से दूर रहो । दूसरों का भला करने वाले लोगों का भला स्वयं भगवान करते हैं । ऐसे लोगों के सुख-दुख के साथ भगवान होते हैं।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏

# 41 - इस महान वृक्ष रुपी संसार के दो ही रूप हैं।  1-- अच्छी अच्छी बातें 2-- गुणवान महान लोगों की संगत । इसलिए प्राणी को सदा इन दो रुपो को सामने रखकर ही अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए । इन लोगों के साथ रहने पर जीवन सफल होता है । इन मार्गो पर चलकर ही सफलता मिलेगी।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏

# 42 - जीवन और मृत्यु का चक्र चलता ही रहता है। आत्मा अमर है। वह केवल अपना शरीर त्याग करती है। मनुष्य का जीवन यही आत्मा है । आत्मा के साथ परमात्मा है । मनुष्य हर शरीर के साथ ही अपने पहले जन्म के कर्मों का फल पाता है। इसलिए कर्म सही रखना चाहिए । सही कर्म करना चाहिए। --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 43 - बिना पढ़े हुए पुस्तक को अपने पास रखना। अपना कमाया हुआ धन दूसरों के हवाले कर देना । यह अच्छी बात नहीं है। इन से दूर रहने में ही लाभ होता है। --- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏


# 44 - धर्म के त्याग से जीवन मिले और दुश्मन की शरण में जाने से धन मिले । ऐसे जीवन और धन से आदमी का निर्धन होना और मौत होना अच्छी होती है । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏 

# 45 - पाप और अत्याचारों से कमाया हुआ धन अधिक से अधिक 10 वर्षों तक पुरुष के साथ रह सकता है। इसके पश्चात ऐसा धन मूल सहित अपने आप नष्ट हो जाता है। इसलिए पाप की कमाई से सदा दूर रहो । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 46 - जो ज्ञान देता है, वह गुरु है। भले गुरु से मात्र एक अक्षर ही पढ़ा गया हो, सदा गुरु की सेवा करो । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 47 - धर्म, धन, गुरु का ज्ञान, दवाइयां आदि का सदा संग्रह करके रखना चाहिए । ऐसी सभी चीजें समय आने पर इंसान के काम आती है । --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 48 - कोई भी काम आरंभ करने से पहले तीन प्रश्न करने चाहिए :-

यह काम क्यों कर रहा हूं?

 इसका क्या फल मिलेगा?

 क्या सफलता अवश्य मिलेगी?

 इन प्रश्नों का उत्तर गंभीरता से अपने मन में ढूंढने का प्रयत्न करें। इसके पश्चात ही काम को आरम्भ करें।--- 🙏  आचार्य चाणक्य 🙏

# 49 - शक्तिशाली शत्रु और कमजोर मित्र सदा नुकसान देते हैं। क्योंकि कमजोर मित्र कभी भी विश्वासघात कर सकता है। परंतु शत्रु से तो आदमी स्वयं होशियार रहता है ।--- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏

# 50 - इस संसार में आप किसी चीज पर पूर्ण रुप से विश्वास कर सकते हैं, तो वह केवल आपका मन है । जो लोग अपने मन का की आवाज सुनकर चलते हैं । वे सदा सुखी रहते हैं।  --- 🙏 आचार्य चाणक्य 🙏