•  डिप्रेशन और उदासी से कैसे बचें

उदासी या डिप्रेशन आज के आधुनिक युग का  बहुत ही भयानक  मानसिक रोग है । आज का आधुनिक युग instant का जमाना है । लोगों को सब कुछ तुरत फुरत बना बनाया मिल जाता है । किसी भी प्रकार की इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं, रहन-सहन खान-पान सबकुछ एक्स्ट्रा साइंटिफिक हो चला है । इन सभी सुविधाओं के उपयोग की पूरी छूट है किंतु, यह आपा-धापी हमें कई प्रकार के रोगों को मुफ्त में प्रदान करती है । इसी प्रकार कमजोरी या एनीमिया की स्थिति में शरीर को उपयुक्त पोषण नहीं मिलता जिससे हमारा शरीर दुर्बल और निष्क्रिय हो जाता है हम कुपोषित हो जाते हैं । और ऐसे कुपोषित लोग किसी प्रकार से अपना जीवन यापन करते हैं और दूसरों की सहायता करना तो दूर स्वावलंबन पूर्वक जीवन भी नहीं जी पाते हैं । इसी प्रकार से आपा-धापी में एक मानसिक स्थिति पैदा होती है जिसे हम डिप्रेशन अवसाद या उदासी कहते हैं ।100%

उदासी या डिप्रेशन के कारण:-

जब छोटी- मोटी आवश्यकता की पूर्ति या विचार  की संतुष्टि समय से नहीं हो पाती तो हमारा मन अवसाद ग्रस्त हो जाता है । और हमारा मन उदास रहने लगता है । इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कठिनाइयाँ और समस्याएँ हमें इतना परेशान कर देती हैं कि हम आखिर मे इतने कमजोर हो जाते हैं कि, हम छोटी सी भी प्रतिकूलता को सह नहीं पाते और उदास हो जाते हैं । जो कि बाद में उदासी यां डिप्रेशन रोग बन जाता है ।तो आइए आज हम उदासी और डिप्रेशन से संबंधित कुछ खास बातों की चर्चा करेंगे ।
बात करें तो वास्तव में  उदासी या डिप्रेशन एक मानसिक अवस्था है । जिसके लिए यह आवश्यक नहीं कि इसका कोई प्रत्यक्ष बड़ा कारण हो । छोटी-छोटी असफलताएं छोटी-छोटी comptition, कठिनाइयां या समस्याएं हमारे दैनिक जीवन में आती रहती हैं और उदासी या डिप्रेशन का कारण बन सकती हैं । हमारे मन की सभी आवश्यकताएं हमारे मन की सभी  आकांक्षाएं (desire)पूरी नहीं हो सकती हैं । इसी प्रकार की समस्याएं उत्पन्न नहीं होती रहती हैं । और यह छोटी-छोटी समस्याएं ही अवसाद के कारण हो सकते हैं ।
इस संसार में शायद ही कोई ऐसा हो जिसे कोई problemन हो, जो सभी प्रकार से सुखी हो । जिसके पास कोई विशेष समस्या ना  हो, जिसे बेचैनी ना सताती हो । ऐसा शायद कोई होगा । ऐसी स्थिति में हर व्यक्ति को अपने जीवन को संतुलित बनाए रखने के लिए patience की बड़ी आवश्यकता होती है । साहस,धीरज और पराक्रम यह तीनों गुण मनुष्य के मानसिक स्थिति को बनाए रखने में मदद करती हैं ।
ऐसे लोग जिनमें धैर्य साहस पराक्रम जैसे गुणों की कमी होती है वे लोग छोटी-छोटी बातों में भी परेशान हो जाते हैं । उनके लिए छोटी सी भी समस्या पर्वत के समान भारी पड़ती है । यह लोग हमेशा भयभीत रहते हैं, इनके मन में शंकाएं भरी हुई होती हैं । इनको अविश्वास और आशंकाएं घेर कर रखती हैं, अक्सर बेचैन रहते हैं । इनमें कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियां पैदा हो जाती हैं । हाई ब्लड प्रेशर ,हृदय की धड़कन का बढ़ जाना, ऐसी अनेक शारीरिक स्थिति पैदा हो जाती है । ऐसे व्यक्ति अपनी रक्षा के लिए ऐसे कार्य कर बैठते हैं जिनकी उन्हें कोई आवश्यकता नहीं होती । और इस कार्य के करने की वजह से वे और भी फंस जाते हैं ।
 आज के युवा वर्ग में अव्यवस्था की वजह से उनका मानसिक संतुलन बिगड़ा रहता है, स्थिर नहीं रहता है, यह लोग उदास रहने लगते हैं । और अपने आपको सभी से उपेक्षित समझने लगते हैं, और इनके मन में हमेशा अपने स्तर को लेकर के उदासी छाई रहती है, जो उत्साह किसी काम और व्यक्ति के लिए होना चाहिए उसकी कमी होने लगती है और वे अपने आप को अकेला और बेकार महसूस करने लगते हैं । इनका काम करने का मन नहीं करता और यदि किसी भी के वजह से या अपने आप से कुछ कार्य करते भी हैं तो वह भी बेढंगा और आधा -अधूरा होता है   इस प्रकार के कार्य करने से ना तो उन्हें अपने को संतोष होता है और ना तो किसी दूसरे कराने वाले को । ऐसे व्यक्ति अपने आप को बेकार का मानते हैं और सोचते हैं कि इस जीवन से अच्छा मृत्यु ही है और उनका जब यह अवसाद गहरा हो जाता है तो कभी कभी आत्महत्या भी कर बैठते हैं जिनमें साहस नहीं होती वह इतना बड़ा कदम नहीं उठा पाते जिन्हें साहस नहीं वही अक्सर उदासी के शिकार होते हैं।
एक अध्ययन के अनुसार डिप्रेशन से ग्रसित लोगों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से काफी ज्यादा है अमेरिका जैसे साधन संपन्न देश में भी इस लोगों की इस रोग के रोगियों की संख्या प्रायः करोड़ों में बढ़ रही है । जिनमें हजारों लोग सचमुच आत्महत्या कर बैठते हैं । इस अवसाद की स्थिति का मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है । जिसकी वजह से मस्तिष्क में रोगों के कीटाणु बनते फैलते हैं और जो बाद में किसी न किसी छोटे बड़े शारीरिक रोग का कारण बन जाते हैं । अर्थात मानसिक स्थिति के वजह से शारीरिक रोग पैदा हो जाते हैं सामान्य रूप से से चिकित्सा करने पर वे ठीक हो सकते थे लेकिन उनकी मानसिक अवस्था, उदासी की अवस्था उनके रोग को ठीक नहीं होने देती और अपने आप में धीरे-धीरे गलते जाते हैं ।     उनके अस्त-व्यस्त मानसिक स्थिति उन्हें अपंग बना देती है ।ऐसे विचित्र हरकतें करने लगते हैं कि जैसे  भूत प्रेत का साया चढा हो, मित्रों की सहानुभूति और सांत्वना भी उनके काम नहीं आती है ।

 उदासी दूर करने के उपाय :-

 नई बदली हुई परिस्थितियों में रखा जाए या रहा जाए:-

 उदास व्यक्तियों के उपचार के लिए आवश्यक उपाय है कि उन्हें नई बदली हुई परिस्थितियों में रखा जाए । जब उनके आसपास के वातावरण मे बदलाव होता है तो उनमें भी बदलाव संभव हो सकता है । और वे अपने विचारों को परिवर्तित कर सकने में सक्षम होते हैं । जिससे उनकी उदासी दूर हो सकती है  ।

रचनात्मक विचार :-

 रचनात्मक विचार के आस पास रहने से, अकेले ना रहने से और उन्हें यदि उज्जवल भविष्य की सपना दिखाए जाते हैं  या उनके लिए भी बच्चों को बहलाने जैसे युक्ति का भी उपाय किया जाए । तो ऐसी मनोदशा वाले व्यक्ति को किसी न किसी काम में लगाए रखा जाए तो उनकी मनोदशा में भी परिवर्तन होता है । दूसरों को उनसे बात करने । और सफलताएं जिन्होंने प्राप्त की है उनके उदाहरणों को उनके पास रखने से उनके मनोबल में वृद्धि होती है ।
गाथाओं को जीवन चरित्र की घटनाओं को उन्हें सुनाया जाए तो भी उनमें उत्साह का संचार हो सकता है ।

Positive thinking:-

 सबसे अच्छा यह है कि रोगी स्वयं ही यह अनुभव करें कि नेगेटिव थिंकिंग के कारण मैं स्वयं ही इस रोग  में फस गया हूं इससे उबरना और निकलना यह पूरी तरह से मेरे ही बस में है ।
 कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कि  दवाइयों से ठीक हो सकते हैं दूसरे लोगों के सहयोग से अच्छा किया जा सकता है । किंतु कुछ ऐसे लोग होते हैं ऐसे रोग होते हैं जो अपने ही  मन में पैदा किए हुए होते हैं अपने के द्वारा ही बुलाए गए होते हैं उन्हें स्वयं ही दूर किया जा सकता है । विचारों में नेगेटिव थिंकिंग ना करके पॉजिटिव थिंकिंग को स्थान देने पर ऐसे मन के रोग दूर हो सकते हैं ।

उदासी अपने मन की भूल है :-

क्योंकि इस संसार में बहुत सी ऐसी घटनाएं भरी पड़ी है जिससे हमारे मन में उत्साह की वृद्धि हो सकती है ।। हमारे सहयोगियों की भी कोई कमी नहीं है । वह भी हमारे लिए लाभदायक हो सकते हैं प्रकृति की सुंदरता, मनुष्य की अपनी कलात्मकता, जिधर देखो उधर की संरचनाएं, उदास मन में उल्लास का वातावरण भरता है । यदि फिक्र को छोडकर, अपने को सकारात्मक चिंतन, प्राकृतिक ,पॉजिटिव थिंकिंग के द्वारा देखा जाए । ओर मन को प्रेरित किया जाए तो मन की उदासी तो यूं हो हो सकती है जैसे कि गधे के सिर पर सींग ।जब वास्तविक रूप से समस्याओं से घिरे हुए व्यक्ति हसते हंसाते हुए अपने उन कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं तो कोई व्यक्ति यदि कोई भी व्यक्ति जो कि बिना मतलब हीं अपने काल्पनिक जंजाल को बुन रखा है वह क्यों नहीं अपने उदासी को तोड़ कर फेंक सकता है । उदासी ऐसी कोई भी मानसिक स्थिति नहीं है जिससे मनुष्य स्वयं ना पीछा छुड़ा सके ।
 उदासी और प्रसन्न मन की बीच की एक ही स्थिति होती है जिसे अर्ध विक्षिप्त की स्थिति कहते हैं यह स्थिति भी अपने स्वयं के चिंतन, thinkings से जुड़ी हुई है यदि मनोबल में साहस का तड़का लग जाए तो वह हर व्यक्ति जो उदासी डिप्रेशन या अतिशय आर्थिक क्षेत्र कै उदासी से घिरा हुआ है सहज ही अपने आप को स्वस्थ कर सकता है ।