महामृत्युंजय मंत्र जप के फायदे



मंत्रों में भी महामंत्र महामृत्युंजय ftमंत्र का जप मन की स्थिति को ताकतवर बनाता है मंत्र जप का मानसिक अवस्था पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ता है ! मानव मन की कार्यों को तीन भागों में बांटा जा सकता है, किसी भी इंसीडेंस को याद करना या रखना अर्थात स्मृति, सोचने- विचारने, चिंता करने का कार्य और मन की भावनाओं को समझने और व्यक्त करने का कार्य ,यह तीनों कार्य मस्तिष्क के लिए प्रभावी(dominant) एवं इंपॉर्टेंट (importent)और कंपलेक्स (complex) होती हैं !वास्तव में मानव का पूरा जीवन भावनाओं के बल पर ही पूरा होता है ! इन भावनाओं का मनुष्य के जीवन पर ,मानसिक स्थिति और स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है ! इस प्रकार यदि भावना पूर्वक महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाए तो मानसिक सुदृढ़ता ,एकाग्रता, चरित्र श्रेष्ठता, लक्ष्य के प्रति अटूट श्रद्धा एवं विश्वास की प्राप्ति होती है !
गलत भावनाओं और विचारों जैसे कि क्रोध करना ,चिंता करना ,शोक होना , दुख होना ,किसी से ईर्ष्या या जलन रखना, मन में जलन रखना आदि आदि ! नकारात्मक गलत भावनाओं और विचारों का प्रभाव मन पर पड़ता है मानव मन और शरीर के विभिन्न आंतरिक भाग अनावश्यक रूप से गलत विचारों से उत्तेजित हो जाते हैं और शारीरिक और मानसिक रोग पैदा करते हैं ! मन की आंतरिक रोगों को महामृत्युंजय मंत्र में दूर करने की क्षमता है । इसके विपरीत अच्छे विचार और भावनाएं जैसे कि आशावादी होना, मन में उत्साह होना ,ईश्वर पर विश्वास होना ,प्रेम मैं जीवन जीना ,साहस का संचार होना, मन में खुशी का भाव होना ,लोगों से प्रेम में संबंध रखना ,चिंता ना करना, दुख सुख में सामान्य रहना ,और सकारात्मक विचार और भावनाएं हमारे मन मस्तिष्क और शरीर पर अच्छा प्रभाव डालती हैं ! मनुष्य कई प्रकार की परेशानियों ,समस्याओं से घिरे होते हैं, जिनके कारण उत्पन्न होने वाले गलत विचार और भावनाओं से मन में या दिल में कुसंस्कार या गलत विचार और विकृत मानसिक धारणाओं की उत्पत्ति होती है ! इसके कारण किसी भी व्यक्ति को उसके सही रूप को देखने समझने, जरा सी घटना के होने पर अपने लिए बहुत बड़ा मान लेने, अधिक आत्म केंद्रित होने, आदि मानसिक विकृति पैदा होते हैं !100%

मानसिक विकारों के लिए डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट :-

डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार इस समय विश्व में लगभग 40 करोड लोग मानसिक रोगों से पीड़ित है इस आंकड़े से स्पष्ट है कि विश्व की जनता मानसिक रोगों के भयानक दौर से गुजर रही है ! मनुष्य को अपने आसपास के वातावरण से एडजस्टमेंट करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण मनुष्य मनोरोग से पीड़ित हो रहा है !मनुष्य को कभी कभी अपने जीवन में psycosis  या मनुष्य की अपनी गलतियों का एहसास होने पर अपने मन में होने वाले खेद या ग्लानि का सामना करना पड़ता है! इसकी उत्पत्ति मनुष्य की क्रियाकलापों की वजह से होती है ! उत्पन्न समस्याओं की वजह से उत्पन्न चिंता एवं fear अनुभव के बने रहने के कारण होती है! जीवन की शुरुआत में bad learning experience या सही सीखने की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है !psycosis की स्थिति एक  मनोविकार है इस वजह से स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिसकी वजह से मनुष्य का personal and social adjustment कठिन हो जाता है गिल्टी(guilty) उत्पन्न होती है psycosis से पीड़ित व्यक्ति का व्यवहार आक्रामक ना होने के कारण इस स्थिति की पहचान होने में समय लग जाता है !ऐसी स्थिति में मनोचिकित्सक की अधिक जरूरत पड़ती है!

महामृत्युंजय मंत्र जाप से साइकोसिस का उपचार :-

साइकोसिस की स्थिति के निवारण के लिए योग्य उपचार पद्धति के अंतर्गत मंत्र जप साधना का प्रयोग किया जाता है !इस पद्धति में कोई साइड इफेक्ट नहीं है और यह सबसे सरल और प्रभावपूर्ण साधना है ! अप्रत्याशित रूप से बढ़ते मनो रोगों को रोकने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप का उल्लेख शास्त्रों में किया गया है !

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ :-

 महामृत्युंजय मंत्र करने में लाभ है

  • महामृत्युंजय मंत्र जप से आत्म हीनता का स्तर कम हो जाता है !
  • महामृत्युंजय मंत्र के जप के प्रभाव से अवसाद डिप्रेशन की स्थिति में सुधार होता है !
  •  महामृत्युंजय मंत्र के जप से दुश्चिंता बेड थिंकिंग का स्तर कम हो जाता है !
  • मनोग्रस्तता कम होती है !
  •  पराधीनता के स्तर में कमी आती है !
  • महामृत्युंजय जप के कारण स्वास्थ्य चिंता का स्तर कम हो जाता है !
  • दोष भाव का स्तर कम हो जाता है !

मन में उत्पन्न होने वाली नकारात्मक भावनाएं जो मन मस्तिष्क को झकझोर कर रख देती हैं ऐसी नकारात्मक भावनाओं में कमी आती है !
मंत्र जप मंत्र के प्रत्येक अक्षर से उत्पन्न होने वाला यह स्पंदन एवं ध्वनि का रूप ले लेती हैं जो मानसिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करते हैं ! जैसे-जैसे यह स्पंदन बढ़ते जाते हैं तो मन के साथ-साथ उसी अनुपात में चेतना (conciousness)भी प्रभावित होती जाती है जिससे भावनाओं व चिंतन प्रक्रिया में सकारात्मकता का उदय होता है और हमारे एंडोक्राइन सिस्टम और उस से निकलने वाले हार्मोन में बैलेंस बना रहता है जो शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है !महामृत्युंजय जप के मंत्र मंत्र के जप के समय जीभ, कंठ, तालु, मूर्धा अंग सहायक होते हैं और इसके उच्चारण करते समय जिन भागों से साउंड निकलती है उन अंगों के नर्वस एक्टिव हो जाते हैं और कई gland पर दबाव डालते हैं !जिससे पूरा नर्वस सिस्टम बैलेंस हो जाता है !

एडजस्टमेंट की क्षमता का विकास होता है :

समायोजन करना या एडजेस्ट(adjustment) करना मानव जीवन का मूलभूत कार्य है अपने आसपास के वातावरण के साथ एडजस्टमेंट कर लेने से जीवन में हंसी खुशी का माहौल बन जाता है ! इसके विपरीत एडजस्टमेंट में कमी होने पर जीवन में नीरसता आने लग जाती है और कई प्रकार की मानसिक विकृतियां उत्पन्न होती हैं ! बाहरी ,आंतरिक समायोजन के लिए मनुष्य को बाहरी, सामाजिक एवं आंतरिक रूप से आत्मिक पुरुषार्थ या प्रयास करना पड़ता है बाहरी रूप से वातावरण के साथ-साथ लोगों के साथ adjust  करना पड़ता है ! इसमें दूसरे लोग भी हेल्प कर सकते हैं ! लेकिन आंतरिक रूप से एडजस्ट करने के लिए अपने आंतरिक स्थिति का ही सहारा मिलता है ! मंत्रों का जप एक मुख्य साधन के रूप में कार्य कर सकता है ! मंत्रों में भी महामृत्युंजय मंत्र की आज की स्थिति को ताकतवर बनाता है लेकिन मंत्र जप करते समय मानसिक शुद्धता ,एकाग्रता, चारित्रिक, लक्ष्य प्रति अटूट आस्था एवं विश्वास को अपनाने से ही मंत्र जप के अच्छे और श्रेष्ठ और शीघ्र परिणाम मिलते हैं ! मंत्र जप के साथ-साथ उचित जीवनशैली और अच्छी आचरण का व्यवहार करने और सही विचार रखने की भी जरूरत पड़ती है, क्योंकि मंत्र जप से अच्छे गुणों का ही विकास होता है लेकिन दुर्गुणों की स्थिति होने पर मनोदशा में कोई भी बदलाव नहीं हो पाता है इसलिए निष्काम सेवा सद्भाव सत्कर्म को अपनाते हुए अच्छे विचार रखते हुए किए जाने वाले महामृत्युंजय मंत्र जप साधना ही लाभकारी होती है !

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तरंगों का प्रभाव :-

तरंग चाहे शब्द के हो या संगीत के या फिर मंत्र के उसका असर सुनने वाले पर अवश्य पड़ता है ! सही प्रकार से जब महामृत्युंजय मंत्र का जप किया जाता है तो मंत्र को स्वयं सुना जाता है और मंत्र अपनी प्रकृति के अनुसार प्रभाव मन में छोड़ती है ! तरंग की प्रचंड शक्ति का पता तब चलता है ,जब कोई किसी व्यक्ति को गाली देता है या अपशब्द बोलता है ,जिसका ऐसा असर होता है कि सुनने वाला तिलमिला उठता है !और मरने मारने पर उतारू हो जाता है! विशाल महाभारत का युद्ध भी कुछ अप्रिय और अनुचित शब्दों का ही परिणाम था ! कटु शब्दों के प्रयोग से ऐसी तरंगें पैदा होती हैं जो व्यक्ति के आंतरिक स्थिति को झकझोर कर रख देती हैं !इसी प्रकार महामृत्युंजय मंत्र के जप से भी ऐसी सकारात्मक तरंगें पैदा हो जाती हैं जो मन के रोगों को दूर करने में सहायक होती हैं ! शब्द, संगीत एवं मंत्र की शक्ति इतनी प्रभावशाली होती है कि यदि उसका सही ढंग से सावधानी पूर्वक प्रयोग किया जाए तो उस आदमी को  स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता प्रदान करती है और ऐसी ऊर्जा से भर देती है जिसे अन्य माध्यमों से आसानी से शायद ही प्राप्त किया जा सकता है !

महामृत्युंजय मंत्र शक्ति की महिमा :-

मंत्रों की क्रियाविधि वैज्ञानिक है शब्द शक्ति का रहस्य जिसकी प्रक्रिया है !हर शब्द की एक विशेष शक्ति और सत्ता होती है जिसके उच्चारण से उत्पन्न कंपन nerve fiber को भी एक्टिव कर देते हैं जिससे ऊर्जा के मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं ! मंत्रों के मनन करने से मन और आत्मा में  नकारात्मक स्थिति से छुटकारा मिलती है अर्थात नकारात्मक स्थिति का समापन होता है ! इस प्रकार विधिपूर्वक मंत्र का सही उच्चारण पूर्वक जाप किया जाए तो उसका लाभ निश्चित रूप से होता है ! मंत्र विज्ञान प्रसिद्ध वैज्ञानिकों कहना है कि सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र अनुष्ठान से उत्पन्न ऊर्जा से साधक को सामान्यतः पूरे वर्ष तक संरक्षित सुरक्षित रखा जा सकता है ! 1 वर्ष तक साधक की विपत्ति से रक्षा हो जाती है!
आर्य ग्रंथों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र अनिष्ट निवारण कर कर्म बंधन का निवारण करने वाला है ! इसके जप में उत्पन्न ध्वनि तरंगें रोगों में लाभ प्रदान करती हैं ! मंत्र जप के समय मंत्रों के अक्षरों का ध्यान करना चाहिए जब साधक का मन तल्लीन हो जाता है तब महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव और ज्यादा हो जाता है !महा मंत्रों के मंत्र महामृत्युंजय मंत्र से लाभ न मिलने का कारण है कि इसका उचित रीति, नीति, विधि से नहीं किया गया है अन्यथा सफलता निश्चित है! महामृत्युंजय मंत्र जप के साथ गायत्री मंत्र का चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं !