मन को कैसे काबू करें |

दिमाग को काबू में करने का तरीका |

 कैसे अपने मन पर काबू पाएं |



भारतीय संस्कृत में मन को बंधन और मोक्ष का कारण माना गया है । शुद्ध,पवित्र और निर्मल मन ,अचंचल या स्थिर मन हमारे व्यक्तित्व को प्रभावी बनाता है,और ऊंचाई पर ले जाता है । जबकि इसके विपरीत अस्थिर एवं चंचल मन, कुसंस्कारों और गलत आदतों वाला मन, हमारे व्यक्तित्व को कमजोर बना देता है । चंचल मन का सबसे महत्वपूर्ण स्वभाव है कि किसी एक विषय पर केंद्रित (centralised) ही नहीं होता है । बार-बार एक विषय (subject) को छोड़कर दूसरे सब्जेक्ट की ओर दौड़ता है । मन के अंदर हजारों प्रवृत्ति (activities) भरी पड़ी होती हैं । जो समय-समय पर मन को प्रेरित करती रहती हैं । मन का चंचल होना असामान्य बात नहीं है । यह वायु के समान दौड़ लगाता है बड़ा शक्तिशाली है । जल्दी से बस में नहीं किया जा सकता है । फिर भी कुछ उपायों से मन को कंट्रोल किया जा सकता है ।जिसका हम आगे वर्णन करेंगे ।100%

जीवन का निश्चित लक्ष्य बनाएं और उस पर कार्य करने के लिए डट जाएं :-

मन को निर्मल बनाने के लिए और उसकी चंचलता को दूर करने के लिए मन को काबू में लेना जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने जीवन का एक निश्चित लक्ष्य बनाएं और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक कार्यक्रम निश्चित कर ले । उसी के अनुरूप अच्छे विचारों, काम के सोच या विचारों को मन में एकाग्र कर दिया करें और सुबह से लेकर शाम तक का समय का हर पल एक दिन पहले से ही फिक्स कर लिया जाए, कि कब-कब हमें क्या क्या करना है । इस प्रकार जब हमारे पास काम का भरपूर भंडार होगा और हम मन को सिर्फ अपने काम की ओर खींचने पर लगाए रखेंगे तो मन चाहे या ना चाहे वह कितना भी भागे उसे लक्ष्य और कार्यक्रम के लिए पकड़कर एक्टिव करने से मन की चंचलता दूर हो जाएगी और मन काबू में होने लगेगा ।

नेगेटिव विचारों को ध्यान ना दें :-

नकारात्मक विचार और भावनाएं मन को कमजोर और चंचल बनाती हैं इसलिए मन में जो भी नकारात्मक या विरोधी विचार या भावनाएं आए  उनकी ओर ध्यान ना दें उन नकारात्मक विचारों से अलग हो जाएं । उसकी जगह पर सकारात्मक (positive) विचारों एवं भावनाओं को स्थान दे । थोड़े ही समय में मन की चंचलता दूर हो जाएगी और मन एकाग्र (centralized) हो जाएगा इस प्रकार से concentrated मन की शक्ति को जिस भी काम में लगाएंगे उसमें ही आश्चर्यजनक सफलता मिलेगी । इस प्रकार का अभ्यास करते रहने पर मन परिपक्व (mature) हो जाएगा और मन को  काबू करना सीख जाएंगे ।

मन में शुद्ध भावनाओं और विचारों को स्थान दीजिए :-

शुभ और शुद्ध विचारों के चिंतन मनन करने और अभ्यास करने से मन की अशुभ संस्कार कमजोर  पड़ते जाते हैं । इसलिए मन को काबू में करने के लिए आवश्यक है कि मन में शुद्ध भावनाओं और विचारों को स्थान दिया जाए सिर्फ शुद्ध भावनाओं और विचारों को ही प्रोत्साहित किया जाए । पवित्र और सकारात्मक चिंतन में मन को लगाए रखने से, इतने पर भी यदि मन काबू में ना हो तो मन की चंचलता पर ध्यान ना दें । जो लक्ष्य या कार्यक्रम बनाए हैं उसी को पूरी धुन में करते रहें । अपना confidence level हमेशा high रखें रहे, एक दिन ऐसा अवश्य आएगा कि आप  अपने चंचल मन पर काबू करना सिख जायेंगे  |

चंचल मन को काबू कैसे करें :-

चंचल मन को काबू कर लेना कोई  छोटा कार्य नहीं है, यह कार्य करने में समय और अभ्यास लगता है। हम काफी समय तक अभ्यास करने पर ही हम अपने मन को काबू में कर सकेंगे, क्योंकि मन को काबू में करने का मतलब है अपने आदत और विचार को बदलाव में लाना। विचार और आदत के बदलाव के लिए हमें पर्याप्त अभ्यास की जरूरत होगी ।इसलिए लगातार अपने मन को काबू में करने की कोशिश करते रहने से धीरे-धीरे आदत में आ जाती है । इस प्रकार से आप प्रयत्नशील होकर ही अपने मन को काबू में कर सकते है ।।