सफलता कैसे पाए

सफलता पाने के लिए हर व्यक्ति अपने जीवन में संघर्ष करता है । सफलता पाने के लिए समाज की रूढ वादी दावों से संघर्ष करना होता है । खुद के भीतर बने हुए मेंटल ब्लॉक से संघर्ष करना हो या परिस्थितियों से संघर्ष या फिर घर परिवार की परंपराओं और धारणाओं से संघर्ष करना पड़ता है ।
सफलता पाने के लिए यह  संघर्ष भौतिक स्तर पर ही नहीं होता है । कई बार यह अपने आसपास की भौतिक परिस्थितियों को मात दे करके सफलता प्राप्त करना उतना कठिन नहीं होता है जितना कि मानसिक स्तर पर जूझते हुए संघर्ष करते हुए साहस का दिखाना आवश्यक होता है ।
कई बार सभी परिस्थितियां हमारे लिए अनुकूल होती हैं लेकिन हमारी मानसिक स्तर हमें आगे बढ़ने से रोकती है । हमारे मन में कुछ धारणाएं बनी हुई होती हैं, जो हमारे पांव को आगे बढ़ने से रोकती है । इसलिए हमें पहले अपनी मन की धारणाओं से जीतने की जरूरत होती है इसलिए हम आज हम सफलता या कामयाबी पाने के व्यवहारिक सूत्रों की चर्चा करेंगे ।100%

जिस चीज से डर लगे उसे जरूर करे :-

सबसे बडी़  मानसिक समस्या डर की होती है, अक्सर हम अपनी डर की वजह से काफी संघर्ष के बाद भी सफल होने से वंचित रह जाते हैं । ड़र का मुख्य कारण आत्मविश्वास की कमी है, इसलिए हमें सबसे पहले अपनी डर से ही संघर्ष करना पड़ेगा। इसलिए सबसे पहले आप उस कार्य को कीजिए जिसे करने में आप को डर लगता है । हां कार्य को करने से पहले उसके बारे में जानकारी हासिल कर लेना जरूरी होता है । ऐसा कार्य न करें जो कि खतरनाक साबित हो । फिर भी डर की धारणा से संघर्ष करने के लिए जरूरी है कि हम उस कार्य को जरूर करें जिससे हमें डर लगता हो ।

 कुछ कामों को बिना किसी की मदद के अपने से करने की कोशिश करें :-

यदि आप अपनी मानसिक धारणाओं की वजह से और आत्मविश्वास की कमी की वजह से असफल रह रहे हैं, तो इसे दूर करने की कोशिश कीजिए । इसके लिए आप अपने कुछ कामों को स्वयं करने की आदत डालिए । छोटे-छोटे कामों को जब आप स्वयं करते हैं तो आप मे मानसिक आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। इसलिए अपने कुछ कामों को स्वयं करने की आदत डाल दीजिए । क्योंकि हर जगह पर हमें मदद करने वाले नहीं मिल सकते हैं ।

 सफलता का रहस्य

 सफलता के दो मुख्य रहस्य हैं :-

1 कार्यकुशलता 

2 समय का प्रबंधन

जो इस रहस्य को जानते हैं वह सफलता को निश्चित ही प्राप्त करते हैं । और जो इस तथ्य को नहीं जानते या नजरअंदाज कर देते हैं वह अत्यधिक श्रम करने के बाद भी, अत्यधिक मेहनत करने के बाद भी असफल रह जाते हैं ।सफलता कोई अलादीन का चिराग नहीं है, जिसे कि आप जब चाहे रगड़े और सफलता हाजिर हो जाए । यह आत्मविश्वास (self confidence)कमिटमेंट या समर्पण और समय (time)को ध्यान में रखकर कुशलता पूर्वक (with ability)किए जाने वाले कार्यों का रिजल्ट होता है ।
 सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए । जिनमें सबसे पहला है टारगेट यानी कि लक्ष्य पर नजर रखना या लक्ष्य का निर्धारण करना ।
सबसे पहले हमें अपना लक्ष्य तैयार कर लेना चाहिए ।लक्ष्य बेशक बड़ा हो, लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे target को बनाना चाहिए । छोटे-छोटे लक्ष्य को पाते हुए ही बड़ा लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है । इसके लिए एक योजना बनानी चाहिए और अपने लक्ष्य को डायरी में लिख लेना चाहिए । उन छोटी बातों को जरूर लिख लेना चाहिए ,जो हमारे सफलता के लिए उपयोगी हो ।इसके बाद हमें अपने कार्य में जुट जाना चाहिए ।और फिर भी यदि सफलता न प्राप्त हो तो हमें अपने काम के करने के ढंग को बदल देना चाहिए।
 असफलता हमारी  मन एवं मस्तिष्क को निराश कर देती है, इसलिए जरूरी है कि बीती हुई और कड़वी बातों को सोचने और विचारने की अपेक्षा हमें अपने वर्तमान को सर्वश्रेष्ठ बनाने की कोशिश करनी चाहिए । वर्तमान(present) को best बनाने और लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम है, सकारात्मक सोच या पॉजिटिव थिंकिंग(positive thinking)

 पॉजिटिव थिंकिंग:-

अपने लक्ष्य को  decide कर लेने के बाद यदि हमारी सोच सकारात्मक होती है,तो निश्चित है कि हम अपने सकारात्मक सोच से अपने लक्ष्य का आधा भाग तय कर लिए हैं । हमारे देखने का नजरिया ही हमारी सफलता और असफलता को निर्धारित करता है । सफलता की राह मे आने वाली हर बाधा से जो समस्या पैदा होती है और उस समस्या की वजह से जो मन में निराशा और हताशा उत्पन्न होती है उसके निराकरण एवं समाधान के लिए positive thinking ही एक मात्र सहारा है । हम जिस चीज को, जैसी भी चीजों को, जैसे भी देखते हैं वह हमारे लिए वैसे ही बन जाती हैं । यदि हमें चीजों को अपने अनुकूल (in favour)देखना हो तो  हमारी अवलोकन(observation) दृष्टि सही होनी चाहिए । यदि नकारात्मक दृष्टि होगी तो हमें यही लगेगा कि हमारी किस्मत कितनी खराब है । हम इस संसार में कितने अक्षम और असमर्थ व्यक्ति हैं । इस प्रकार की नकारात्मक सोच हमारी पर्सनल जीवन (personal life)एवं प्रोफेशनल जीवन(profesonal life) में भी असफलता के लिए माइलस्टोन का काम करती है ।

 समय का प्रबंधन:-

 हमें निर्धारित काम को निश्चित समय में पूरा कर लेने की आदत डाल लेनी चाहिए । समय पर किया गया कार्य हमारे अनुशासन को दिखाता है ।अनुशासन (discipline)और समय प्रबंधन (time management)का एक दूसरे से गहरा संबंध है । अनुशासित जीवन जीने के लिए हमेशा समय पर ध्यान रखना होता है, समय के साथ काम को अंजाम देना होता है । इससे हमारे और दूसरों के भी समय का सम्मान होता है, क्योंकि हमारे सफलता में सिर्फ हम अकेले नहीं होते हैं इसके साथ कई लोग भी जुड़े होते हैं । यदि हम अपने कार्य को सही ढंग से समय पर पूरा करते हैं तो हमारे साथ काम करने वाले कई
लोगो का भी समय बचता है और यदि हम टालमटोल करते हैं, आज के कार्य को कल पर डालते हैं, तो हमारा काम अधूरा रह जाता है । साथ में हमसे जुड़े हुए लोगों का भी काम अधूरा हो जाता है इसलिए समय के साथ काम को अंजाम देना एक चुनौती होती है । और इस चुनौती को पूर्ण कर लेना ही हमारे लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग (route)है । क्योंकि चुनौती ही सदैव लक्ष्य के साथ जुड़ी हुई होती है ।
लक्ष्य निर्धारित करके जब हम आगे निकल पडे हो तो हमें पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए, बल्कि आने वाली सभी कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करना चाहिए । पीठ देखने वाले लोग कायर कहलाते हैं ।ऐसे लोगों का मजाक उड़ाया जाता है । जबकि चुनौतियों का सामना करने वाले बहादुर कहलाते हैं ।और उन्हीं के सिर पर सफलता का सेहरा सजता है । हर एक चुनौती हमें नई सीख देती है, कि हम किस प्रकार से अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाएं । लक्ष्य की ओर बढ़ने वाला हर एक कदम एक नई और अनजान राह पर बढ़ता है । किंतु हमें डरना नहीं चाहिए अपने सूझबूझ के साथ समझदारी के साथ आगे ही बढ़ते रहना चाहिए । चुनौती तो होगी ही, किंतु उसे हम किस कुशलता से पूरा कर पाते हैं यह हमारी कार्यशैली पर निर्भर करता है । जिस काम को हमें करना है उसे बेहतर ढंग से करने के लिए और भी अच्छे ढंग से करने के लिए हमें अपनी कुशलता या skill को विकसित करना चाहिए ।

 कार्य कुशलता विकसित करें:-

हमे अपने काम को अच्छे ढंग से करने के लिए ,बेहतर ढंग से करने के लिए । हमें अपनी  कार्यकुशलता (skill) विकसित करना होता है
 । यूं ही किसी भी काम को करते रहने से, गैर मन से करते रहने से, उसकी गुणवत्ता मे उसकी क्वालिटी में कमी आ जाती है । आज के समय में कार्य की गुणवत्ता या क्वालिटी को अधिक ध्यान दिया जाता है क्योंकि कंपटीशन बढ़ गई है ।इसलिए क्वालिटी प्राप्त करने के लिए हमने एबिलिटी की जरूरत पड़ती है । और यह तभी संभव है जब आपस में एवं स्वयं में अच्छा तालमेल बना सके ।
 हमें अपने समय कुशलता बुद्धि भावना एवं क्षमता के बीच तालमेल बनाकर रखना चाहिए इसके अलावा हम जिनके साथ कार्य करते हैं या जो हमारे साथ कार्य करते हैं उनके बीच भी बेहतर तालमेल होना आवश्यक है तालमेल ना होने पर आपस में गलतफहमी उत्पन्न होती है जो परेशानी पैदा कर देती है इसलिए सफलता पाने के लिए हमें स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ लोगों लोगों के साथ अच्छा तालमेल बिठाना आना चाहिए
 कमिटमेंट
अपने लक्ष्मी सफलता को पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कमिटमेंट कमिटमेंट का अर्थ है हम जो कहते हैं उसे निभाते हैं हमारा यह देवाक्य होना चाहिए कि हम जो कुछ कहते हैं उसे निभाते हैं हमें अपने वादों को निभाना आना चाहिए कमिटमेंट लक्ष्य की प्राप्ति का उत्तम साधन है जो व्यक्ति अपने किए हुए वादे पर अडिग रहता है ऑथेंटिक होता है वह प्रमाणिक होता है उसे सहयोग और सहायता भी मिलती रहते हैं और सहयोग और सहायता और खुद की इच्छा शक्ति और लक्ष्य के प्रति कमिटमेंट किसके द्वारा मुश्किल यह सफलता के द्वार खुल जाते हैं
 कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जो हर दिन अपने किए हुए वादों से मुकर जा मुकर जाते हैं ब्लू कोई भी बड़ा काम नहीं कर सकते यह लो आ प्रमाणिक होते हैं एमपी कोई विश्वास नहीं करता और विश्वास ना करने और सहयोग ना मिलने की वजह से और इनका ढीला ढाला का भैया इन्हें अंत में असफल ताकि ओर ले जाता है
 कमिटमेंट कर लेना और कमिटमेंट को अंत तक निभाना दोनों ही अलग बातें हैं कमिटमेंट कौन से तक निभाना बहुत ही कठिन काम है फिर भी हमें चाहिए कि जो भी हमने कमिटमेंट किया है उसे अंत तक निभाएंगे यह सफलता प्राप्त करने का निश्चित शर्त है
 ईमानदारी एवं मौलिकता
 लोक बनावट अपन को बहुत कम ही पसंद करते हैं बनावटी व्यक्ति को विश्वास नहीं करते इसलिए हमें अपनी क्षमता के अनुसार और अपनी क्षमता के निजी अनुज विशेषता के अनुरूप हमें मौलिक होना चाहिए
ऐसा व्यक्ति  जिसमें मौलिकता का गुण होता है उस उसका व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षक होता है उसके अंदर चुंबकीय गुण पैदा हो जाते हैं वह सफलता और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगता है
 सफलता एक सिचुएशन है  जिसे स्टेप बाय स्टेप ही प्राप्त कर सकते हैं यदि हम अपने का अपने कार्य को समय पर सही ढंग से करेंगे तो हमें निराशा और हताशा नहीं मिलेगी सफलता नहीं मिलेगी यदि इसके बावजूद भी असफलता मिलती है तो हमें इसके कारणों को ढूंढ कर दूर करना चाहिए और ईमानदारी से योजना बनाकर कार्य करना चाहिए तभी सफलता मिल सकती है