सुखी दांपत्य जीवन के उपाय 

सुखी गृहस्थ जीवन के उपाय 

हर इंसान अपने जीवन में सुख की चाहत रखता है। और सुखी जीवन के लिए भरसक प्रयास भी करता है। लोग अपने गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हुए दिखाई देते है। सुखी दांपत्य जीवन के लिए बहुत सी बातें महत्वपूर्ण होती हैं। हमारा घर परिवार वह महत्वपूर्ण स्थान है जहां पर काम से लौटने के बाद हमें भरपूर सुकून और आराम मिलता है। व्यक्ति घर पहुंच कर अपने सभी झंझट और परेशानियों को भूल जाता है। इसलिए ही घर को मंदिर भी कहा जाता है। जहां पर बैठ कर व्यक्ति अपने प्रेम को साकार होता देखता है घर परिवार का ही काम बिंदु होता है दांपत्य जीवन जोकि दो व्यक्तियों की आपसी प्रेम से सुखमय और सफल बन जाता है सुखी दांपत्य जीवन के अभाव में गृहस्थी की गाड़ी सुख की राह पर नहीं चल पाती है और परिवार की सामाजिक आर्थिक व्यक्तिगत और जीवन मूल्यों की उन्नति रुक जाती है यह दीजिए यदि दांपत्य जीवन ही नीरस हो तो व्यक्ति का परिवार प्रेम और सहयोग की भावना से अछूता रह जाता है और परिवार की महत्वपूर्ण कड़ी बिखर जाती है और अक्सर लोगों में वह दिन लड़ाई झगड़े की स्थिति बन जाती है और अंततः परिवार बिखर जाता है तो इस कड़ी में हम सुखी दांपत्य जीवन या गृहस्थ जीवन की असफलता के कारण और समाधान के साथ-साथ सुखी गृहस्थ एवं दांपत्य जीवन के उपायों की चर्चा करेंगे।100%

 सही चुनाव है बेहद जरूरी:-

यदि किसी भी कार्य निर्माण के प्रारंभ में ही कोई गलती हो जाए तो उसके अच्छे परिणाम कभी नहीं मिल सकते हैं यदि एक बैलगाड़ी में एक बैल और एक बकरे को जोड़ दिया जाए तो गाड़ी कभी भी अच्छी तरह से नहीं ल सकती है इसलिए उचित यह होगा कि गाड़ी खींचने के लिए दोनों जानवर एक समान जाति के हो यदि दोनों में से एक भी कमजोर अयोग्य और कम ताकत ताकत वाला होगा तो तू जीवन की गाड़ी का लड़खड़ाना निश्चित है।


 इसलिए सुखी गृहस्थ जीवन में एवं सुखी दांपत्य जीवन में के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी का चुनाव ठीक और उचित ढंग से किया जाए दोनों का चुनाव जीतना ही ठीक होगा तो दांपत्य जीवन भी उतना ही सुखमय उन्नति करने वाला और प्रगतिशील होगा।
 आजकल अरेंज मैरिज के जगह लव मैरिज का चलन बहुत ही हो चला है लेकिन इस प्रकार के विवाह के पीछे 99% कारण लड़के का मुल्क लड़की का विपरीत लिंग एवं सुंदरता या किसी को भी के प्रति आकर्षण होता है और इस आकर्षण की चमक कमजोर पड़ते ही दांपत्य जीवन एवं परिवार के विकास में ब्रेक लग जाता है इसलिए कि आजकल तलाक के केसेज बढ़ती नजर आ रहे हैं क्योंकि बेमेल शादी होती है जिसमें ना तो संस्कृत का मेल होता है और ना ही स्वभाव त्याग सेवा आदि के गुण होते हैं जिससे दांपत्य जीवन का सारा सुख नष्ट हो जाता है
इसलिए परिवार की सुख शांति और आनंद के लिए जरूरी है की पति और पत्नी का चुनाव ठीक ढंग से दोनों के परस्पर सहमति से हो और बड़ों का भी सहमति हो क्योंकि अब चुनाव ठीक होगा तो आपस में मतभेद कम होंगे और लड़ाई झगड़ा भी कम होगा और परिवार की गाड़ी सही दिशा में चलेगी जिससे सामाजिक जीवन भी सफल होगा क्योंकि समाज भी तो आखिर परिवारों उसका समूह ही होता है।

गृह क्लेश क्यों होता है ।

 अक्सर कबीर दास जी के सत्संग में लोग आया करते थे ।और भी अपनी समस्याओं का समाधान लेकर जाया करते थे। एक बार उनके पास एक व्यक्ति आया उसने बताया कि उसके घर मे, उसके घर के सदस्यों से नहीं बनती है। और लड़ाई झगड़ा होते रहता है ।इसका क्या कारण है ?और क्या उपाय है ? कबीरदास जी चुप रहे फिर उन्होंने अपनी पत्नी को बुलाया और कहा दीया जलाकर पहुंचा जाओ ।उनकी पत्नी दिया जलाकर पहुंचा गयी। कुछ समय बाद उन्होंने फिर से पत्नी को बुलाया और कहा घर में अभी कुछ मिठाई हो तो पहुंचा जाए। उनकी पत्नी कुछ देर बाद नमकीन पहुंचा गई ।उस व्यक्ति ने सोचा क्या माजरा है ,कबीर दास जी ने दिन में दिया मंगवाई?  मिठाई मांगी तो उन्होंने नमकीन पहुंचाई ? फिर भी लड़ाई नहीं ,क्या कारण हो सकता है ?लेकिन उसके समझ में कुछ बात नहीं आई ।

तब कबीर दास जी ने समझाया कि जब मैंने दिया मंगाई तो मेरी पत्नी पूछ सकती थी कि दिए का दोपहर में क्या काम लेकिन उसने चुपचाप पहुंचा दिया। मिठाई मांगी  तो उसने नमकीन पहुचाया। मैंने सोचा कि शायद घर में मिठाई ना हो इसलिए नमकीन दे गई है। इस प्रकार से हम दोनों में परस्पर तालमेल है ।और एक दूसरे को समझते हैं। इस प्रकार से हमारे बीच में लड़ाई नहीं होती। इसी प्रकार से तुम भी घर में एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाओ। तुम्हारे घर की भी लड़ाई दूर हो जाएगी।

 विश्वास  बढ़ाने  और बहस  में  न पड़ने  से विषम  परिस्थिति  अपने  आप  दूर  हो जाती है।’  वह  समझ  गया

कबीर दास जी  ने  फिर  कहा,  गृहस्थ जीवन  में  आपस मे विश्वास  से ही आपसी तालमेल  बढ़ता  है। पती  से  गलती  हो  तो पत्नी संभाल  ले  और पत्नी  से  कोई गलती  हो  जाए तो  पति  उसे  नजर  अंदाज  कर  दे। यही सुखी गृहस्थ जीवन  का मूल  मंत्र  है।

गृहस्थ जीवन एक तपोवन है:-