आत्मविश्वास कैसे बढ़ाए हाउ टू इंप्रूव सेल्फ कॉन्फिडेंस


आत्मविश्वास का सीधा अर्थ है अपने आप पर विश्वास करना । आत्मविश्वास (self confidence) और अंधविश्वास (over confidence )और अविश्वास( low confidence) के बीच एक छोटा सा अन्तर होता है जब मैं कहता हूं कि मेरे बगैर कोई भी कार्य हो ही नहीं सकता तो शायद यहां पर मैं गलत हूं ,क्योंकि यहां पर मेरा अंधविश्वास (over confidence)बोल रहा है |और यदि बोल दे कि मेरे सहयोग से कोई कार्य होने में सहायता मिलेगी ,मेरी मित्रता से तुम्हें कोई नुकसान नहीं होगा । तो यह सोच आत्मविश्वास (self confidence)वाली है । और मैं भला क्या कर सकता हूं मेरे बस की बात ही नहीं है ।
यह  सोच अविश्वास (low confidence)की स्थिति है ।आत्मविश्वास बढ़ सकती है जिसके बल पर कोई भी कुछ भी कहने का साहस कर सकता है आत्मविश्वास सफलता पाने का मंत्र है इसे कम नहीं होने देना चाहिए । आज हम  आत्मविश्वासबढ़ाने की कुछ टिप्स के बारे में चर्चा करेंगे।100%
आत्मविश्वास विश्वास वाला व्यक्ति कभी हार नहीं मानता है
आत्मविश्वास  वाला व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में हो जल्दी हार नहीं मानता क्योंकि उसे अपने ऊपर फुल कॉन्फिडेंस होता है उसमें  कोई अहंकार नहीं होता जबकि अहंकार में डूबा हुआ व्यक्ति अपने शारीरिक और मानसिक क्षमताओं पर भरोसा तो करता है लेकिन वह भरोसा ज्यादा होता है और वह उसे अहंकारी बना देता है वह दूसरे लोगों को साधारण और कमजोर समझने लगता है और जब कभी वह असफल होता है, तो उसका अहंकार उसे निराशा की ओर ले जाती है और वह निराश मन से आत्महत्या जैसी कायरता पूर्ण स्थिति  को फॉलो करने लगता है।
जबकि आत्मविश्वास को अपनाकर जीवन जीने वाले लोग हर सफलता को ईश्वर का अनुदान मानते हैं । और मिलने वाली हर हर छोटी बड़ी असफलता का को सीखने के लिए अपने लिए वरदान मानते हैं  | हर छोटी बड़ी सफलता का श्रेय दूसरे लोगों को देते हैं । ये लोग अपने समृद्धि का उपयोग दूसरों के दुख को दूर करने में करते हैं | सफलता के लिए किया गया हर संघर्ष उनमे सदगुणों और उत्तम विचार को पैदा करता है ।उनकी असफलताएं उन्हें निराश नहीं करती, वे अपनी कमजोरियां ढूंढ कर उन्हें सुधारने का प्रयास  करते हैं । उन्हें सफलता को हथिया लेने की आदत नहीं होती । ये लोग अपने मैग्नेटिक पर्सनालिटी के द्वारा लोगों को अपनी ओर खींचते चले जाते हैं।
आत्मविश्वास कैसे विकसित करें:

  • अपने बारे में पॉजिटिव सोच विकसित करें:-

आत्मविश्वास  बढने या कमजोर होने का केवल एक अनिवार्य कारण है , अपने लिए हमारी स्वयं की क्या मान्यता है | जी हां अपने बारे में हमारी मान्यता जैसी होगी हम वैसे ही बनते चले जाएंगे | जो व्यक्ति अपने आप को धूल, मिट्टी ,कंकड़ के समान समझता है, उसमें निश्चय रूप से आत्मविश्वास जीरो ही होगा । क्योंकि ,यदि आप अपने आप को धूल मानेंगे तो लोग आपको धूल ही बना देंगे | और  अपने पांव से कुचलने लगेंगे और आगे बढ़ जाएंगे । इसलिए अपनी शक्ति पर विश्वास कीजिए | अपने आप को कमजोर ना समझे अन्यथा आपका कॉन्फिडेंस लेवल जीरो होता चला जाएगा।

  • अपनी शक्ति पर विश्वास कीजिए

जो लोग अपनी क्षमताओं पर अपनी शक्तियों पर विश्वास करते हैं , ऐसे लोग अपने आप को कठिन कार्यों को करने के योग्य बना लेते हैं ।अपनी क्षमताओं पर विश्वास करके ऐसे लोग हर विपरीत परिस्थिति में भी अपने लिए अनुकूल परिस्थिति को पैदा कर लेते हैं । जिस समय हम अपनी क्षमता  पर विश्वास करते हुए किसी कार्य को करने की ठान लेते हैं तो समझना चाहिए कि हमारा आधा काम पहले ही पूरा हो चुका है । इस प्रकार अपने ऊपर विश्वास रखने वाले लोग अपने कामों को पूरा करके दिखाते हैं । जबकि  दुर्बल मानसिकता वाले लोग जिनमें लो कांफिडेंस हो जाता है वह सिर्फ कल्पना की दुनिया में ही रह जाते हैं।

  • अपनी शक्ति (पावर )को पहचानो :-

जिस प्रकार एक बडे पेड़ की पूरी जानकारी उसके  जीन में छिपी हुई होती है, इसी प्रकार से हमारे भीतर भी हमारी शक्ति और सामर्थ्य भरी होती है । जिसे हमें पहचानने की जरूरत होती है । इसका पता आप इस प्रकार से लगा सकते हैं कि कौन सा ऐसा कार्य है जिसे आप मन लगाकर 6 से 8 घण्टे तक कर पाते हैं । आप घंटों तक  वह कार्य बिना थके कर सकते हैं । तो निश्चित ही आप मे कार्य करने का सामर्थ्य है ।आप उसे पहचान लो और उस पर फोकस कर दो।
अपने पावर को increase करते जाओ । इस प्रकार से यदि आप अपनी एबिलिटी और पावर को पहचान सकते हो, तो हम निश्चित ही कह सकते हैं कि आप सफलता के शिखर पर पहुंच जाएंगे।

  • संकट को चुनौती माने घबराए नहीं :-

संकट या कठिन समय हमारे लिए डरावने होते हैं लेकिन इसे आप चुनौती के रूप में स्वीकार कर ले, तो यह हमारे अंदर साहस को पैदा करने वाले होते हैं । यह हमारी आत्मशक्ति को बढ़ा देते हैं । हमें इस कठिन समय में लड़ने की ताकत देते हैं ।और बिलबिलाने के वजाय हम विपत्ति के समय साहस के साथ खड़े रह सकते हैं । और संकट से निपट लेने के बाद हमारा आत्मविश्वास देखते ही बनता है।

  • चिंता करना छोड़ दीजिए :-

चिंता और चिंतन में अंतर होता है जब हम किसी पहलू पर सकारात्मक रूप से पक्ष एवं विपक्ष के बारे में सोचते हैं तब हम चिंतन कर रहे होते हैं । जबकि जब हम किसी समस्या के बारे में सोचते ही रह जाते हैं चाहे वह समस्या वर्तमान में होगी भी या नही । यदि हमारा समय सही चल रहा है, तो भी भविष्य की ज्यादा चिंता करने लगते हैं इस प्रकार को हम चिंता कहते हैं । इस प्रकार की चिंता विकार की होती है और जिनको यह चिंता करने की आदत बन जाती है वे लगातार चिंता ही करते रह जाते हैं । इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है । इसलिए  सफलता पाने के लिए चिंता करना छोड़ दीजिए।

  • ईर्ष्या और जलन घातक है :-

किसी की तरक्की से जलन हो जाए ,ऐसा होना हमारी कमजोर मानसिकता और आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है । जब हम अपने क्वालिटी को इंप्रूव नहीं कर पाते हैं तभी हम दूसरे के बेहतर करने पर जलन पैदा कर लेते हैं। अपने आप से दूसरे को बेहतर मानने लगते हैं, तभी हमें सामने वाले  की बुराई ही नजर आती है । इसलिए हमें मानना चाहिए कि हम ईश्वर के पुत्र हैं ।और हम किसी से कम नहीं है । इसलिए हमें अपने पर विश्वास करने की जरूरत है । इसी के सहारे आप और हम आत्मविश्वास को प्राप्त कर सकते हैं ।जय हिंद।।