लोगों से बातचीत करने का तरीका बातचीत की कला बातचीत कैसे करें

हम सभी बातचीत किए बिना रह नहीं सकते हैं, बातचीत करना मनुष्य को जीवन यापन करने के लिए जरूरी है ।बातचीत करना वास्तव में हमारे विचारों और भावनाओं को दूसरे तक पहुंचाने का एक माध्यम है । एक ही बात को विभिन्न तरीके से कहा जा सकता है और एक ही बात को कई लोग, कई व्यक्ति अलग -अलग और अपने-अपने अंदाज में बोलते हैं । कुछ लोग अपने शर्मीलेपन के कारण बातचीत करने मे झिझक महसूस करते हैं । जबकि मिलनसार व्यक्ति आसानी से हर जगह घुल मिल जाता है । किसी की बातचीत करने का ढंग कितना अच्छा होता है कि उसका प्रभाव लोगों के दिल और दिमाग पर गहराई तक पड़ता है । तो आज हम बातचीत करने की कला पर विस्तृत चर्चा करेंगे ।100%

बातचीत कला एवं विज्ञान है:-

बातचीत करने की कला का अभ्यास हम लगातार करते रहे तो हम बातचीत करने में माहिर हो सकते हैं ।और बातचीत के दौरान किस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करते हैं इस ढंग से हम बातचीत के विज्ञान को जानते और पहचानते हैं । एक सर्वेक्षण के अनुसार कैरियर के क्षेत्र में लोगों में से 85% लोग अपने व्यक्तित्व और बातचीत करने की कला के आधार पर अपने कैरियर में सफलता पाते हैं । भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन जी का कहना था कि " भविष्य बनाने के लिए बातचीत की कला में निपुणता से अच्छी कोई डिग्री नहीं हो सकती है और इसे कोई भी व्यक्ति हासिल कर सकता है "

अपने घर और पड़ोसी से शुरुआत कीजिए:-

शर्मीले स्वभाव के बच्चों से घर के सदस्य कुछ न कुछ बोलते रहे और बोलने के लिए प्रेरित करते रहें । आप अपने घर से और पड़ोस से ही शुरुआत कर सकते हैं जिन्हें आप जानते हैं उनसे जब आप बातचीत करने लग जाते हैं तब आप की झिझक शर्मीला पन दूर होने लगती है और आप बातचीत करना सीख जाते हैं ।सकारात्मक सोच के top 7 फायदे

किसी भी स्कूल में टीचिंग कार्य करने लग जाए :-

यदि आप बोलने में कठिनाई महसूस करते हैं तो आप किसी स्कूल में टीचिंग जॉब की शुरुआत कर दें । वहां पर पढ़ने लिखने का माहौल होता है साथ में बड़े और बच्चे दोनों से बातचीत करने की जरूरत पड़ती है । इस प्रकार आप टीचिंग की शुरुआत करते हैं , तो धीरे-धीरे आप में बातचीत करने की कला विकसित होने लगती है और आप अच्छे वक्ता बन सकते हैं ।

समाज से जुड़कर रहे और कार्यक्रमों मैं भाग लेते रहे :-

जब आप समाज में किसी कार्यक्रम में भाग नहीं लेते हैं, तो आप में दब्बू पन और शर्मीला पन आने लगता है । इसलिए आप चाहे कितनी भी शर्माते हो लेकिन कार्यक्रमों में दर्शक या श्रोता के रूप में ही सही भाग जरूर ले । आपके अंदर भावनाएं और विचार उत्पन्न होने लगेंगे जिसे आप व्यक्त करने के लिए उत्सुक होंगे और बातचीत करना सीख जाएंगे । लोगों के बातचीत करने के ढंग को देखकर और सुनकर आप भी बातचीत करने में माहिर हो सकते हैं । आप कार्यक्रमों का हिस्सा बनिए कलाकारों को देखिए ,कैसे वे तरह-तरह की भावनाएं एवं विचारों को लोगों के सामने व्यक्त करते हैं ऐसा आप भी कर सकते हैं , और बातचीत करने की कला में माहिर हो सकते हैं ।

बातचीत का सिलसिला कैसे शुरू करें :-

बातचीत की शुरुआत करने के लिए आप अपने आसपास की बहुत सी बातों का सहारा ले सकते हैं, जो बातचीत की शुरुआत करने में मदद करती है ,जैसे कि आज के मौसम के बारे में बात कर सकते हैं ,पसंद या नापसंद के बारे में बात कर सकते हैं ,राजनीत को विषय बना सकते हैं, देश-विदेश की सामान्य बातों को भी आप मुद्दे बना सकते हैं । आप बातचीत कर सकते हैं , किसी भी मुद्दे को लेकर आप शुरुआत कर सकते हैं । लेकिन अजनबी से बात करने के लिए जरूरी है कि सामान्य रूप से ही मौसम के बारे में टाइम पूछ कर या अन्य सामान प्रश्नों के द्वारा ही आप बातचीत की शुरुआत करें ।

समय का ध्यान रखे :-

कहीं पर भी कभी भी किसी भी मुद्दे पर बात करना सही नहीं हो सकता है । विशेषकर यदि आप अपने से बड़े अधिकारी या बड़ों से बात कर रहे हो जिसके लिए जरूरी है कि आप समय और सामने वाले के मानसिक परिस्थिति का ध्यान जरूर रखे ।

बातचीत करते समय ध्यान देने वाले कुछ जरूरी टिप्स:-


  • आप अपने अधिकारी या बॉस से बात तभी करें जब वह काम के बोझ से मुक्त हो चुका हो, वह फ्री हो । जब भी आपको ऐसा लगे कि बॉस ठीक मूड में है,और रिलैक्स कंडीशन में है ।तभी आप अपनी बात रखें ।
  • जब कोई व्यक्ति किसी कार्य में व्यस्त हो तब भी आपको बात शुरू करने से बचना चाहिए ।
  • घर में किसी भी सदस्य के व्यस्ततम समय में सिर्फ काम की बात करनी चाहिए ।
  • ऑफिस से आने के तुरंत बाद दिन भर के लफड़े सुनाने लग जाना अच्छी आदत नहीं है ।
  • ज्यादा बोलना भी लोगों में समस्या पैदा करता है, इसलिए ज्यादा बोलने से बचना चाहिए ।
  • बातचीत करने के दौरान बे वजह की बहस करने से बचें ।
  • बातचीत करते समय यदि आपके पास सही जानकारी न हो तो बचे ।
  • बातचीत करने के दौरान अपशब्दों का प्रयोग ना करें ।

बातचीत को प्रभावी बनाने का तरीका :-

यदि आप सच में बातचीत करने की कला को विकसित करना चाहते हैं और उसे प्रभावी बनाना चाहते हैं तो निम्न बातों पर जरूर ध्यान दें :-

विनम्रता :-आपकी बातचीत में  विनम्रता होनी चाहिए और ठोस शब्दों का इस्तेमाल होना चाहिए ।

सहजता :- बोलते समय असहज ना हो बल्कि simply आराम से बातचीत करें ।

सच्चाई  :- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती है । इसे तो आपने खूब ही सुना होगा, इसलिए झूठे बातों को अपनी बातचीत में जगह ना दें ।

आत्मविश्वास :- बातचीत करने की शुरुआत के लिए आत्मविश्वास का होना बहुत ही जरूरी है । आत्मविश्वास को बनाए रखें । और फुल कॉन्फिडेंस के साथ बात प्रारंभ करें ।क्योंकि यदि आपका आत्मविश्वास कमजोर हुआ तो आप बातचीत करने में सफल नहीं हो सकते हैं । बल्कि दब्बू ही बने रह जाएंगे ।

बोलने के पहले सोचे :-

बातचीत करने के दौरान आपको चाहिए कि बोलने से पहले आप सोचें जरूर । बुद्धिमान लोग बोलने के पहले सोच लेते हैं । जबकि मूर्ख लोग बोलने के बाद सोचा करते हैं । इसलिए बुद्धिमान बनिए और बातचीत के दौरान बोलने के पहले जरूर सोच ले ।

धैर्य और समझदारी :-

यदि आप सुनने और बोलने में धैर्य रख सकते हैं और समझदारी का परिचय देते हैं, तो आप निश्चित ही एक सफल वक्ता बन सकते हैं ।

तज दे बचन कठोर :-

 गोस्वामी तुलसीदास जी ने तो मीठे वचनों को वशीकरण का मंत्र बताया है ,इसीलिए कठोर शब्दों का बोलना छोड़ दे ।

तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चन्हूऔर।
 वशीकरण एक मंत्र है ,तज दे वचन कठोर ।।

अर्थात आवेश में कठोर वचन बोलकर मनुष्य दूसरों के हृदय को ठेस पहुंचाते हैं और हर कदम पर अपने शत्रु पैदा कर लेते हैं । संत कबीर दास जी ने भी कहा है कि :-

ऐसी बानी बोलिए ,मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे,आपहुं शीतल होय ।।

इसलिए बातचीत करते समय अपने बातचीत के लहज़े में धैर्य जरूर रखें और मधुर वचनों का उपयोग करें । बोलने के समय संयम रखने से हमारे सोचने और विचार करने की क्षमता बढ़ती है,और हमारे शब्दों में वह शक्ति आ जाती है जिसका लोगों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है । इसके साथ ही भाषा में मधुरता होने पर वह लोगों को, लोगों के दिलों को,सुकून देती है ,और दिलों में राज करती है । इसलिए बातचीत को प्रभावी बनाने के लिए बोलते समय स्वयं का धैर्य और मधुरता का जरूर ध्यान रखना चाहिए ।

दूसरों की निंदा ना करें :-

 अक्सर बहुत बातूनी लोगों का बात करने का मुद्दा लोगों की बुराई करना ही होता है । इस प्रकार की बुराई में सिर्फ दिमाग की खुजली शांत होती है, और थोड़ा मन को तसल्ली मिल जाती है। लेकिन जो बुद्धिमान है वह आपको अच्छी तरह से समझ जाते हैं कि आप जब मेरे सामने दूसरों की बुराई कर रहे हो, तो निश्चित है,आप दूसरों के सामने मेरी भी बुराई करते ही होगे और वे आपके इसी आदत को जानकर आप से दूरी बनाने लगते हैं । इसलिए बे वजह बुराई करना छोड़ देने में ही भलाई है ।

वाणीके दोषों से बचें :-

कठोर या अभद्र बात बोलना, झूठ बोलना, दूसरों की निंदा करने के लिए बोलना और व्यर्थ की बातें करना है यह चार वाणी  के दुश्मन  बताए गए हैं । जो भी व्यक्ति इन वाणी के दोषों से बचा रहता है, वह सदा सुखी और संतुष्ट रहता है । इसलिए प्रभावी बातचीत करने का तरीका सीखते समय इन चार दुश्मनो को जरूर त्याग देना चाहिए ।

सोच को नियंत्रित करें :- 

बातचीत को कंट्रोल करने के लिए हमें अपनी थिंकिंग को नियंत्रित करना होगा । यदि हमारी सोच नियंत्रित है तो व्यक्ति सही और सटीक शब्दों का इस्तेमाल करेगा । और सफलता को प्राप्त करेगा । इसलिए बातचीत केवल बोलने का माध्यम ही नहीं है बल्कि कामयाबी का एक फार्मूला है । इसलिए बातचीत करने की कला में व्यवहारिकता को भी शामिल कीजिए । इसके लिए प्रयास कीजिए और सफलता को प्राप्त की कीजिए ।।