पर्सनालिटी डेवलपमेंट कैसे करें । टॉप 10 पर्सनालिटी डेवलपमेंट टिप्स इन हिंदी

जो लोग अपने जीवन में या अपने कैरियर में सफलता हासिल करना चाहते हैं । उनके लिए बहुत ही जरूरी है, कि वे व्यक्तित्व को गहराई से जान समझ ले । व्यक्तित्व उनके आंतरिक उर्जा को प्रकट करने का तरीका है जिसके व्यवहार के वास्तविक कारण को ही अब व्यक्तित्व के विकास का कारण माना जाने लगा है । किसी व्यक्ति के व्यवहार की निश्चित विशेषताओं उसके मन मे स्थिति उनके गुणों के क्वालिटी को हम उसका व्यक्तित्व कहेंगे ।
जो कुछ हम मन में सोचते हैं उसी के अनुसार हम बोलते हैं । और जो हम बोलते हैं , उसी के समान हमारा चरित्र बनता है ।और हम अपने चरित्र के अनुसार ही व्यवहार करते हैं ,और जैसा हम व्यवहार करते हैं वैसा ही हमारा व्यक्तित्व या पर्सनालिटी बन जाता है । तो आइए हम व्यक्तित्व के इन तीन स्तंभों (pillars)की चर्चा करेंगे ।100%

चिंतन(thinkings) सकारात्मक होना चाहिए:-

व्यक्तित्व के विकास की गति बहुत धीमी होती है अर्थात व्यक्तित्व का development बहुत ही धीरे-धीरे होता है । जिसका पहला स्तंभ है, चिंतन, चिंतन वह क्रिया है ,जिससे हम सोचते हैं ,जो हम सोचते हैं ,जो हमारे मन में, हमारी कल्पनाओं में आता रहता है । चिंतन कहलाता है । किसी विशेष विषय वस्तु में हमारी जो reaction होती है ,वह भी हमारी चिंतन की वजह से ही होती है । हमारी जो thinkings होती है, उसी के आधार पर हम किसी बात की प्रतिक्रिया देते हैं । हम किसी समस्या के बारे में या किसी आईडिया के लिए या किसी के बारे में अपने विचार रखते हैं यह  थिंकिंग हमारे मन मे किसी के बारे में अच्छा या बुरा स्टेटस मन में स्थाई रूप से बना देता हैं ।जो हमारे चरित्र में या प्रतिक्रिया में सामने दिखने लगता है और व्यवहार बनकर प्रकट होता है ।और जो प्रकट होता है उसे लोग देखते हैं । इस प्रकार हमारा व्यक्तित्व (personality) बन कर सामने आता है । इसलिए हमारे चिंतन का आधार सही होना चाहिए । हमारे थिंकिंग सही होने पर हमारा चरित्र (character) व्यवहार(behaviour) और व्यक्तित्व सही बन जाता है ।

चरित्र(character) उत्तम होना चाहिए :- 

का आधार हमारे अचेतन मन में चिंतन के कारण स्थाई रूप से जमे हुए हमारी सोच है या थिंकिंग हैं जो हमारे कंडक्ट या नेचर के रूप में या टेंपर के रूप में या manner के रूप में दिखाई देता है । जब तक हमारी thinkings स्थाई नहीं होती है, तब तक वह हमारे कैरेक्टर में दिखाई नहीं देते हैं ।और हमारा करैक्टर हमारे सोच या चिन्तन से सदैव प्रभावित रहता है । इसीलिए कहा जाता है, कि दूसरे लोगों के चिंतन पर बिना सोचे-समझे विश्वास ना करें । क्योंकि थिंकिंग का परिणाम दूर तक होता है । जिससे हमारा चरित्र या कैरेक्टर बनता है । जो हमारे व्यवहार में दिखाई देता है । इसलिए व्यक्ति के पर्सनालिटी को नए ढंग से ,सही तरीके से विकसित करना है तो हमें पहले उसके थिंकिंग और करैक्टर पर ही काम करना चाहिए यदि आप इन दो स्तंभों (pillars)में चेंज ला सके, तो आपका व्यवहार भी है बदल जाएगा  । जिससे आपका पर्सनालिटी भी चेंज हो जाएगा।

व्यवहार(behaviour) बढिया होना चहिए :-

 personality को नए सिरे से बनाने के लिए हमारे अपने विचारों की एक निश्चित गाइडलाइन या रूपरेखा बना लेनी चाहिए ।और इस गाइडलाइन के अनुसार ही हमारी थिंकिंग होनी चाहिए । यह ध्यान रहे कि हमारी  सही थिंकिंग ही हमें सही दिशा में ले जाते हैं। इसलिए हमारी थिंकिंग इतनी सॉलिड होनी चाहिए कि दूसरे विरोधी विचारों या चिंतन या थिंकिंग से प्रभावित ना हो सके । इस प्रकार से हमारे चिंतन का ढंग कुछ दिनों में हमारे चरित्र या करैक्टर या नेचर को बदल देगा । जिससे हमारा व्यवहार भी बदल जाएगा । हमारा व्यवहार, हमारे पर्सनालिटी का वह पार्ट होगा जो पब्लिक के सामने आता है । जो पर्सनालिटी का आईना है । इसलिए हमें अपने व्यवहार में बदलाव लाना ही होगा । अपने व्यवहार में चेंज लाए बिना हमारी personality,develop कर ही नहीं सकती है। जो कि आंतरिक गुणों पर निर्भर करती है ।एवं  इनके अलावा उठने बैठने का तरीका, कपड़े का पहनावा,बालों का स्टाइल,आदि, भी एक नजर में हमारे personality को नया लुक देते हैं । लेकिन माइंड की personality के लिए हमें मुख्य रूप से तीन pillars हमारे विचार या चिंतन, हमारे चरित्र या नेचर, और हमारे व्यवहार पर निर्भर करती है । ध्यान रहे कि हमारी thinkings हमारे पर्सनालिटी को  बदलने के लिए होनी चाहिए । दूसरों के तर्क वितर्क में उलझने के लिए नहीं । किसी को हर्ट करने के लिए नहीं होनी चाहिए । हमारा व्यवहार और चरित्र भी निष्कपट होना चाहिए । जैसा है वैसा है । बनावटी नहीं होना चाहिए, क्योंकि व्यवहार से ही मनुष्य के पर्सनालिटी का प्रदर्शन होता है । इसलिए हमारा व्यवहार मर्यादा और मानवीय मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए ।।

अपनी योग्यता बढ़ाइए :-

 पर्सनालिटी बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपनी योग्यता को बढ़ाने का प्रयास करें. और इसके लिए हमें अध्ययन और परिश्रम करना होगा .मनुष्य परिश्रम करने के लिए यदि तैयार है ,तो वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है. वह अपनी शक्तियों को अपनी अभीष्ट लक्ष्य को पाने के लिए लगा सकता है. और जब वह परिश्रम करता है, तो वह अपनी योग्यता को जरूर ही बढ़ा लेता है, जब  अपनी योग्यता को बढ़ाने के लिए तैयार हो ,तो निम्न दो शत्रुओं से जरूर सावधान रहें:

निराश मत हो

यदि पर्सनालिटी के विकास में कोई कमी रह रही हो ,या ऐसा लग रहा हो ,कि हमारा व्यक्तित्व विकास नहीं हो पा रहा है .या हम पिछड़ रहे हैं. तो इन सभी मानसिक स्थितियों में आप निराश कभी भी ना हो. क्योंकि ,क्योंकि अपनी व्यक्तित्व के निर्माण में आ रही कठिनाइयों से निराश हो जाते हैं .तो आप जरूर ही असफल हो जाएंगे .इसलिए आप सावधान हो जाइए और परेशानियों में निराश ना हो.

असफलता मिलने पर भी अपने प्रयास में डटे रहे :-

हमारे व्यक्तित्व के विकसित होने में कुछ समय लगता है यह एक दो दिन का काम नहीं है इसके लिए हमें कठिनाइयों से जूझना पड़ता है लोगों की आलोचनाएं सुननी पड़ती है लोग हमारी कमियां निकालते हैं और और हमें कठिनाइयों से जूझना पड़ता है इसलिए हमें अपने आंतरिक प्रेरणा से अपनी कठिनाइयों को चीरते हुए निरंतर आगे बढ़ने की जरूरत है यदि हम एक दोबारा सफल भी हो जाए तो हमें अपने रास्ते को नहीं त्यागना चाहिए हमें अपने रास्ते पर डटे रहना चाहिए अनेक व्यक्ति आलसी तो नहीं होते लेकिन असफलता की एक साधारण से झटके में ही हतोत्साहित हो कर के बैठ जाते हैं और उनका व्यक्तित्व या योग्यता कुंठित ही रह जाता है

योग्यता या पर्सनालिटी डेवलपमेंट के कुछ उपाय :-

आपके पास कोई डिग्री नहीं है लेकिन आप ग्रंथों के अध्ययन से पुस्तकों के स्वाध्याय से उसे गंभीरता पूर्वक पढ़ कर आप पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं आप पूर्ण रूप से योग्य हो सकते हैं और योग्यता बढ़ जाने पर आपका पर्सनालिटी डेवलप होगा जो जगह-जगह पर दिखाई देगा
: दूसरा मार्ग है कि हम अपने से बड़े विज्ञानों के विद्वानों के संपर्क में रहे उनके भाषण और प्रवचन सुने उनके प्रवचन सुनने से हमने ज्ञान का संचय होता है और हम आगे की ओर बबिता की ओर बढ़ते हैं सत्संग करने से हमारी योग्यता में वृद्धि होती है
समय-समय पर आउटिंग में जाते रहे अर्थात संसार का भ्रमण करते रहे ऐसा करने से हमें अधिक से अधिक व्यक्तियों से शहरों से समाज के लोगों से मिलने का और उनके साथ कार्य करने का और संपर्क करने का सौभाग्य मिलता है और इससे हम कई प्रकार के अनुभवों से सीखते हैं इसलिए हमें अनुभव पाने के लिए लोगों से संपर्क रखना चाहिए

अपनी पर्सनालिटी को प्रदर्शित करने के लिए इन कलाओं को सीखिए :-


 भाषण देने की कला :-
भाषण लोगों से संपर्क का माध्यम है हमारी बातों के शब्द लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं यदि हमें अपनी बातों को रखने का ढंग आ गया यथार्थ भाषण देने की कला में हम पारंगत हो गए तो हमारी योग्यता स्पष्ट रूप से बढ़ जाएगी अच्छे वक्ता लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं इसलिए भाषण देने की कला जरूर सीखें

लेख लिखिए और अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाएं:-
 
लिखने से हम अपने विचारों को वयक्त करते हैं। अपने विचारों को दूसरे तक पहुंचाने का एक अच्छा माध्यम है ,लिखना ।जो लोग लिखने का कार्य किया करते हैं ,उनका व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता जाता है। इसलिए अपने विचारों को लेख बद्ध करके लोगों तक पहुंचाने का काम करें।

बातचीत करने की कला  सीखिए :- 

अपनी बातें अच्छी तरह से लोगों के सामने रखिए .और, आप  ऐसी बातें बोले जिससे लोगों को आप के प्रति ऐसा लगे ,कि आप विश्वास से भरे हुए हो. आप आत्मविश्वास से भरे हुए .

आपका पहनावा भी पर्सनालिटी के अनुसार उत्तम होना चाहिए :-

ना तो बहुत तड़क-भड़क वाले कपड़े हो या स्टाइलिश हो और ना ही बहुत गंदे हो या फटे पुराने हो आपके व्यक्तित्व के अनुसार अभी कपड़े जरूर होनी चाहिए।