How to motivate yourself.

खुद को प्रेरित कैसे करें .

हाउ टो इंस्पायर योर सेल्फ .

हाउ टो मोटिवेट योरसेल्फ .

अपने जीवन में हमें खुद को प्रेरित करने और लोगों को प्रेरित करने की जरूरत पड़ती है ! जब हम स्वयं को एक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रहे होते हैं, तो किसी को शराब छोड़ने को कहते हो या फिर बच्चों को किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित कर रहे हो! इस प्रकार से हमारे चारों तरफ हम प्रेरणा देने का कार्य करते रहते हैं या हमारे चारों ओर इंस्पिरेशन का काम होता रहता है ! यह कार्य खुद के लिए किया जा रहा हो या फिर औरों के प्रेरित करने के लिए किया जा9 रहा हो !
यदि मोटिवेशन positive तो इस से मिलने वाला रिजल्ट positive होता है ,यदि हम अपने दैनिक जीवन में कुछ ऐसे सिद्धांतों या लक्ष्यों को अपने व्यवहार में शामिल कर लेते हैं तो हमें स्वयं एवं अपने सहयोगियों को अपेक्षाकृत बेस्ट परफारमेंस के लिए प्रेरित कर रहे होते हैं ! इसलिए कुछ प्रेरणादाई सिद्धांतों को एवं विचारों को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए ! उनमें से कुछ प्रेरित करने वाले सिद्धांत निम्न है:-100%

प्रेरित करने की आवश्यकता क्यों है:-

जब हमारे पास यह स्थिति पैदा हो जाएगी हम क्या करें या क्या ना करें तब हमें भी एक प्रेरक विचार या प्रेरक की जरूरत होती है हमें इस प्रकार के लाखों उदाहरण मिल जाएंगे जब कोई कार्य प्रेरणा की वजह से या मोटिवेशन की वजह से सफल हुआ है ! संसार का हर व्यक्ति अपना कार्य अपनी योग्यता के अनुरूप ही कर पाता है  ! प्रेरक की आवश्यकता पड़ती है ,जब  इंसान को यह पता ना हो कि वाह क्या कर सकते हैं ! व्हाट कैन आई डू? यह पता ना होता है तभी हमें प्रेरक की आवश्यकता होती है ! 
इससे हमारी मुख्य आवश्यकता है कि, हमारे आस -पास कोई ऐसा इंसान या विचार हो जो हमारे रास्ते में आए हुए रुकावट को दूर करने के लिए हमें प्रेरित कर सके ! हमें बता सके ,हमें उस राह पर ले जा सके, जिससे हम जान सके कि हमें क्या योग्यता है, और हम क्या बन सकते हैं !हम क्या कर सकते हैं ! जिस चीज की प्रेरणा करने वाले की हमें आवश्यकता होती है !

मोटिवेटर क्या कार्य करता है

कुछ लोगों को दूसरों के गुणों, अच्छाइयों को पहचान करके ,उनके योग्यता का उपयोग अपने कार्य में करने में महारत हासिल होती है ! यह लोगों को पता होता है कि लोगों से अतिरिक्त प्रयास कैसे कराया जाए ! इनके द्वारा कैसे हम कोई कार्य करवा सकते हैं ! इसकी पूरी जानकारी ऐसे लोगों को होती है ! इन लोगों में टेक्निकल योग्यता चाहे ना भी हो तो लेकिन यह प्रेरित करने के मामले में अव्वल होते हैं ! और इन लोगों को प्रेरित करके उनका उपयोग करने की इनमें गजब की योग्यता क्षमता होती है ! यह लोग अपने सहयोगियों से 10% एक्स्ट्रा कार्य करवा लेने की क्षमता रखते हैं ! इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी लोग होते हैं जो प्रेरणा देने का कार्य कर रहे होते हैं ,लेकिन उनकी खुद की superiority complex उन पर हावी होती है !और  उनके व्यवहार के चलते लोगों के अंदर की भड़ास ही निकल कर बाहर आ पाती है ! लोगों में उनकी प्रेरणा का उल्टा effect पड़ने लगता है ! ऐसे लोग लोगों को कमजोर और अयोग्य बनाकर ही रख देते हैं ! लोग इनकी वजह से स्वयं को कमजोर और अयोग्य समझने लगते हैं ! लोगों को प्रेरित करने के लिए paitent के साथ-साथ बहुत कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है ! यह कला पर्याप्त रूप से लगन के साथ कार्य करके ही सीखी जा सकती है ऐसे लोग self made होते हैं , जिन्होंने स्वयं को इंस्पायर्ड किया होता है !और उनके गुणों से दूसरे लोग भी मोटिवेट होते रहते हैं ! हमारी प्रेरणा के स्रोत हमारे इतिहास के नायकों में मिल जाते हैं उनके जीवन चरित्र से हमें सीख लेने की कला विकसित करने की जरूरत होती है ! प्रेरक व्यक्ति लोगों में 10% एक्स्ट्रा कार्य करवा सकने में माहिर होता है !

गलत विचारों को प्रतिस्थापित करने की कला है प्रेरणा

मनुष्य के मन की tendency है कि वह सदा विचारों में रहना चाहता है मनुष्य अपने विचारों से घिरा होता है ! उसका स्वयं का एक विचार होता है जब उसके विचार उसके मन में स्थिर हो जाते हैं तब यह विचार उसके सिद्धांत के रूप में कार्य करने लग जाते हैं ! जो कि उस व्यक्ति के व्यक्तिगत सिद्धांत कहलाते हैं ! जैसे अमीर आदमी की हर जगह इज्जत होती है इत्यादि ,इन विचारों के लिए कार्य कर रहे होते हैं लेकिन हर इंसान जब अपने जीवन में उत्तम प्रदर्शन कर रहा होता है तब उसके अंदर एक विचार की प्रेरणा कार्य कर रही होती है जैसे कि विद्यार्थी यदि परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो उसका लक्ष्य है कि उसे एक रैंक हासिल करना है और यदि उसके यह विचार उसके लिए प्रेरणा बन जाते हैं तो है वह rank प्राप्त कर लेता है ! यह प्रेरणा स्वयं की हो सकती है या उसकी टीचर की प्रेरणा हो सकती है या किसी रिलेटिव की प्रेरणा हो सकती है ! इसलिए हममें क्षमता होनी चाहिए कि हम जिसे प्रेरित करना चाह रहे हैं उसके मन में स्थिर स्थाई विचारों में उलटफेर कर सकें ! उसके विचारों को नए विचारों से प्रतिस्थापित कर सके ! और यह कार्य इतना आसान नहीं हो सकता है इसके लिए कड़ी मेहनत ,समझदारी ,और पर्याप्त लग्न की जरूरत होती है ! तभी आप उनके विचारों की जंग में विजय हो सकते हैं और प्रेरणा के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं !

प्रेरक व्यक्ति स्वार्थी नहीं हो सकता 

प्रेरक की प्रेरणा एवं उसके स्वार्थ के बीच एक बारीक अंतर होता है जब प्रेरक लोगों से ऐसा कार्य करने के लिए प्रेरित करें कि जिससे सिर्फ प्रेरक को लाभ हो रहा हो तो ऐसी प्रेरणा स्वार्थ कहलाती है और इस प्रकार की प्रेरणा ज्यादा समय तक कार्य नहीं कर सकती है बल्कि सिर्फ अपने स्वार्थ की पूर्ति करने के कारण आप, अनुयाई ,समाज ,अपने लोग ,और स्वयं के नजर में गिर जाते हैं ! आप में स्वार्थी होने का seal लग जाती है ! दिखावे की प्रेरणा में सर्वाधिक लाभ अनुयायियों को ना होकर सिर्फ प्रेरक को होता है ! इसके विपरीत जब आप ऐसे लक्ष्य को पूरा करना चाहते हैं जिसे दोनों पक्षों को लाभ हो तो ऐसी प्रेरणा सफल होती है आपके पास एक विजन vision होनी चाहिए और आप इस vision पर काम कर रहे होते हैं और इसके बल पर अपने और अपने टीम के मनोबल बढ़ाने में मदद करते हैं ! जिससे लक्ष्यों की प्राप्ति होती है !

प्रेरक के पास एक भविष्य दृष्ट या vision होती है :-

प्रेरणा देने के लिए यह चुनौती नहीं है कि आलसी व्यक्ति को मेहनती व्यक्ति मैं बदलना है ! प्रेरक की वास्तविक चुनौती तो यह है कि वह व्यक्ति से, व्यक्ति मैं पहले से मौजूद उसके इनर्जी को सही डायरेक्शन में मॉडिफाइड कर सके ! यह तब संभव हो सकता है जब प्रेरक के पास एक सोच , एक विचार, एक विजन हो , एक दृष्टि हो ,जिसके सहारे वह लोगों को इन लोगों के निजी confidence लेवल को बढ़ा सके और एक निश्चित दिशा में उनकी एनर्जी लेवल को मोड़ सके ,टर्न कर सके ,लोग आलसी और बोरियत से भरे शिक्षकों पसंद नहीं करते उन्हें वह व्यक्ति ज्यादा पसंद होता है जो उन्हें काम में आनंद लेने का तरीका सिखा दे !

लोगों को उत्साहित या प्रोत्साहित कीजिए

एक सफल नेतृत्व करता और प्रेरक वह होता है जो अपने लोगों में उत्साह का संचार कर सकता है ! किस प्रकार से अनपढ़ नेता भी पब्लिक के बीच में उत्साह पैदा करके अपना काम निकाल लेते हैं ! एक सफल कर्मचारी की कमाई का आंकड़ा जितना उसकी कड़ी मेहनत और टेक्निकल नॉलेज पर निर्भर नहीं करता है उससे ज्यादा उसके लोगों में उत्साह भरने की कला पर निर्भर करता है ! लोग अपनी टेक्निकल नॉलेज के बल पर अपने कैरियर में तेजी से ऊपर चढ़ते हैं लेकिन जब उनकी प्रगति के लिए दूसरे लोगों के प्रयास करने की जरूरत होती है तो उनकी प्रगति रुक जाती है ,क्योंकि उनमें नेतृत्व करने की या लीडरशिप की छमता की कमी होती है ! वह अपने आप को मल्टिप्लाई करने में सक्षम नहीं होते !अपने मल्टिप्लाई करने के गुण विकसित नहीं कर पाते इसलिए वे पिछड़ जाते हैं किसी भी इंडस्ट्री में निचले स्तर के कर्मचारी के प्रमोशन के लिए ज्ञान और विज्ञान की जरूरत होती है ceo तबके के लोगों के लिए व्यावहारिक गुण और तकनीकी ज्ञान की जरूरत होती है अर्थात मानवीय संबंधों के विकास, मानव के व्यवहार और उनके लक्षण की जानकारी, नेतृत्व करने की क्षमता, संगठित करने की कला, मुख्य होती है ! जिसके बल पर वह कुछ भी !!हां !!कुछ भी हासिल किया जा सकता है !

अपने ग्रुप में नेगेटिव फीलिंग्स को आने से रोकिए :-

एक व्यक्ति के विचारों का प्रभाव दूसरे व्यक्ति के विचारों पर पड़ता है इसलिए जरूरी है कि हम लोगों के प्रेरणादायी भावनाओं और नकारात्मक भावनाओं और विचारों के प्रभाव को इसके बारे में सतर्क हो जाएं ! हम लोगों के विचारों के प्रभाव को नियंत्रित करने की कला सीख जाएं ,जब तक हम ऐसा नहीं कर पाते हैं, हम दूसरे के प्रभाव में काम करते हैं और अक्सर हम सफल नहीं हो पाते हैं ! आप अपने ग्रुप , फैमिली या क्लास में अनुभव किया होगा कि लोगों का एक दूसरे पर contect का जटिल ,माइक्रो एंड कांप्लेक्स इफेक्ट पड़ता है !जैसे, कर्मचारियों के समूह का असंतुष्ट होने और भावनाएं बिगड़े होने पर नकारात्मक माहौल पैदा कर सकते हैं ! और इस प्रकार के नकारात्मक माहौल या नेगेटिव फीलिंग्स हर समाज ,परिवार, समूह ,कक्षा ,और अनुयाई के लिए विनाशकारी शक्ति के रूप में होती है !यदि आप अच्छे प्रेरक बनने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको अपने समूह के नेगेटिव माहौल को समझने और उसे सुलझाने की कला विकसित करनी होगी ! अन्यथा पूरे ग्रुप में फूट पड़ सकती है ! इसलिए negetive feelings को आगे बढ़ने से रोकने की कला सीखिए !

ग्रुप में positive feelings पैदा कीजिए :-

मनुष्य की भावनाएं संक्रामक होती हैं ! इसलिए अपने समूह के निर्माण के प्रारंभ से ही सावधानी रखनी चाहिए कि ,आपके ग्रुप में positive feelings पैदा हो जाए ! जब हम एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और हम सभी में एक समान positive feelings होती है ,तो हम भी संक्रमित हो जाते हैं ! हम सभी पर एक समान फीलिंग का प्रभाव पड़ता है जैसे कि जलते हुए कोयले का समूह धहकता रहता है लेकिन जब कोयले को अलग अलग कर दिया जाता है तो दहकते कोयले को राख में बदलने में देर नहीं लगती ! उसी प्रकार उत्साहित लोगों का समूह एक प्रबल positive atmosphere पैदा करता है !और जो प्रेरक इस बात को जानता है,और समझता है वह अपनी टीम में एक प्रबल positive feelings  और उत्साह को पैदा करता है ! Group मैं सकारात्मक माहौल की वजह से  ही उत्साह की स्पीड पैदा होती है ! क्योंकि एक उत्साहित व्यक्ति अपने समूह में उत्साह का संचार कर सकता है ! जब समूह सदस्यों में प्रबल उत्साह के साथ सकारात्मक भावना पैदा हो जाती है तो समूह के सदस्य का संयुक्त रूप गजब का विस्फोट कर सकने में सफल हो जाता है ! जिन कंपनियों , परिवार या समूह में अपनी अपनी एक विशिष्ट कार्य संस्कृत विकसित कर लेती हैं! वह ग्रुप अपने अच्छे दिनों और बुरे दिनों, दोनों में ही समय में ,सफल होने की काबिलियत रखते हैं !अगर आप प्रेरणा देने का कार्य करते हैं तो ग्रुप में नए एवं पुराने सदस्य को positive संस्कृत के लिए प्रेरित करें !परिवार के उत्साह से परिपूर्ण सकारात्मक माहौल के बल पर सामान्य परिवार के औसत दर्जे के छात्र भी ऊंचे स्तर का प्रदर्शन करते हुए देखे जाते हैं ! इसलिए अपने समूह में positive फीलिंग या सकारात्मक माहौल पैदा कीजिए !!

लोगों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की आशा करें  :-

सफल मोटिवेटर में एक विशेष गुण होता है कि वह हर एक व्यक्ति में सिर्फ अच्छे गुणों को ही खोजने की कला में माहिर होता है ! और इस महान गुण के कारण वे सफलता भी हासिल करते रहते हैं  !
किसी भी ग्रुप या परिवार या व्यक्ति के लिए उसका अपना एटीट्यूड या नजरिया ही सब कुछ होता है वे लोग जो एक दूसरे को पसंद करते हैं और विश्वास करते हैं कि उनके ग्रुप के सदस्यों के इरादे नेक और स्मार्ट हैं, ऐसे लोग अपने अन्य सहयोगी से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवा ही लेते हैं ! जबकि सिर्फ रूल्स एंड रेगुलेशंस rules @regulation पर जोर देने वाले लोग जो सदैव अपने हर एक सहयोगी के बुरे पहलू पर ही ध्यान देते हैं, वे असफल ही होते हैं ! क्योंकि इस प्रकार की अविश्वास की स्थिति जल्द ही सभी संभावनाओं के द्वारों को बंद कर देती है ! इसलिए एक अच्छे प्रेरक को लोगों के सिर्फ अच्छे गुणों पर ध्यान देते हुए उनसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवा लेने की उम्मीद रखनी चाहिए !!

प्रशंसा की सृजन शक्ति का उपयोग कीजिए :-

नेपल्स की एक छोटी सी फैक्ट्री में काम करने वाला 10 वर्ष का मजदूर लड़का जिसकी गायक बनने की प्रबल इच्छा थी !  उसने एक संगीत शिक्षक को कुछ गाकर सुनाया जिसको सुनकर उसका पहला अनुभवहीन शिक्षक बोला तुम नहीं गा सकते हो ! लड़का इन शब्दों को सुनकर निराश हो गया, लेकिन उसकी मां बहुत सूझबूझ वाली और चतुर महिला थी वह यह मनोवैज्ञानिक तथ्य जानती थी कि समुचित प्रोत्साहन और सहानुभूति पूर्ण प्रशंसा करने से बच्चों में सद्गुणों का पर्याप्त विकास किया जा सकता है ! उसके महत्वाकांक्षा को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया , उसने कहा मैं जानती हूं कि ,ईश्वर ने तुम्हें संगीतज्ञ बनाकर ही भेजा है ! तुम्हारे पास शब्दों ताल ,श्वर, आवाज की परख करने की क्षमता है ! तुम एक दिन musician जरूर बनोगे! उसे एक दूसरे संगीत विद्यालय में एडमिशन दिला दिया गया ,उस लड़के की संगीत शिक्षा पूरे जोर से चल पड़ी विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हुए सिर्फ मां के प्रोत्साहन के बल पर वह लड़का निरंतर अभ्यास करते हुए महान संगीतज्ञ करू - सो के रूप में जाना गया !!
इस प्रकार निरंतर अभ्यास करने से मनुष्य की प्रतिभा जागृत होती है ! और हर बार तारीफ होने से व्यक्ति दुगनी वेग से  बातों को सीखता है ! वह प्रशंसा को बार बार सुनने से मन ही मन सुख पाता है ! यह प्रशंसा की मिठाई चाहे कोई भी खिलाए हर किसी को मीठी लगती है !! थोड़ी सी उन्नत की प्रशंसा करने से लाभ होता है ! प्रशंसा के थोड़े शब्दों ने उसका भविष्य बदल डाला ! इसलिए प्रशंसा वह शक्ति है, जो मनुष्य के गुप्त शक्तियों को कई गुना बढ़ा देती है और निरंतर ऊंचा उठाया करती है ! हारी हुई फौज प्रशंसा पाकर दुगनी रफ्तार से युद्ध करने के लिए आगे तैयार हो जाती है !
हम में क्षमता होती है , कि हम अपने कार्य व्यवहार के द्वारा लोगों को सर्वश्रेष्ठ या निकम्मा बना सकते हैं ! इसी प्रकार ऐसे टीचर जो अक्सर बच्चों को दोष देते हुए देखे जाते हैं निश्चित रूप से नकारात्मक शक्ति का प्रयोग करते हैं यदि आपका व्यवहार एवं नजरिया attitude सामने वाले के प्रति नेगेटिव है ,तो आप सामने वाले को नकारात्मक (negetive behaviour) रूप से व्यवहार के लिए प्रेरित करते हैं ! यदि कोई बच्चा कोई चीज चुरा लेता है और आप उसे कहते कि "तुम चोर हो "  तुझ पर नजर रखनी पड़ेगी ! तो आप उसके अंदर तक कड़वाहट पैदा कर देते हैं और संभव है बच्चा जल्दी ही छोटी छोरियों को छोड़कर बड़ी चोरियों में शामिल होने लगे ! यदि नाम के संबोधन के साथ कहते हो कि, दिनेश ! यह तुम्हारे स्वभाव के अनुरूप नहीं है  तुमने जो किया वह गलत था ! और हमें विश्वास है कि दोबारा ऐसा नहीं करोगे ! इस प्रकार का व्यवहार उस बच्चे में व्यापक परिवर्तन ला सकता है ! हम लोगों के प्रति नेगेटिव attitude रखते हैं और उनकी कमजोरियों को ही रेखांकित करते हैं हम सिर्फ उनके कमजोरियों को ही उनके सामने लाने का प्रयास करते हैं !जिससे उनका व्यवहार और भी बुरा होने लगता है जब हम अपना नजरिया स्पष्ट रूप में बदल देते हैं तो हम सिर्फ लोगों के गुणों पर ही ध्यान देने लगते हैं और उनके अच्छे गुणों को उनके सामने लाते हैं ! और उभारने की कोशिश करते हैं ,उनकी प्रशंसा करते हैं ,उन्हें उत्साहित करते हैं , तो उनके व्यवहार और स्वभाव में बेहतरी आ जाती है ! सफल माता पिता और भाई लोग अपने बच्चों और कर्मचारियों को उत्साहित किया करते रहते हैं ! और उन्हें कहते हैं कि तुम में अपार क्षमता भरी हुई है ! उनकी योग्यता को सम्मान देता है और इस प्रशंसाआत्मक व्यवहार की प्रेरणा से वे अपने बच्चों से good performance प्राप्त कर लेते हैं ! जब यह कहते हैं कि तुम अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं करते हो तब हम उनके चरित्र पर सीधा और तीखा प्रहार करते हैं ! जो  गंभीर स्थिति पैदा कर देता है ! चाहे कितनी भी लापरवाही दिख रही हो हमें विश्वास करना चाहिए कि लोगों की प्रशंसा करके ही हम उनसे अच्छी तरह प्रेरित कर सकते हैं !!

बार-बार बोला गया झूठ भी सच हो जाता है इस शक्ति का उपयोग कीजिए:-

महान कवि gate का एक कथन है कि "यदि आप किसी व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार करते हैं कि जैसा कि वह दिखता है तो आप उसे और भी बुरा बना देते हैं लेकिन अगर आप उसे व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसा कि उसमें होने की क्षमता है,संभावना है तो आप उसे वह बना ही दोगे जो उसे होना चाहिए "
 यह सिद्धांत बताता है कि दूसरे व्यक्ति के गलत आचरण व व्यवहार का ध्यान ना देते हुए सिर्फ उसकी अच्छाइयों पर ही फोकस करते हैं तब आप उसके लिए अच्छा कार्य कर रहे होते हैं ! एक बार एक टेस्ट लिया गया जिसमें औसत दर्जे के बच्चों को जीनियस माइंड के बच्चों के रूप में ही उनके शिक्षकों को बताया गया और शिक्षकों को प्रेरित किया कि गया कि वे इन बच्चों के साथ जीनियस बच्चों के होने जैसा ही व्यवहार करें !जो कि बच्चों के प्रति झूठ बोला गया था ,लेकिन मान लिया गया था कि जो बच्चे जीनियस है, बच्चे भी जीनियस बच्चों के समान प्रदर्शन करने लगे और उनमें सकारात्मक रूप से विकास पाया गया ! तात्पर्य है कि यदि आपने अपने प्रभाव ,स्पर्श एवं मुद्रा के द्वारा, लोगों में मधुरता के साथ उनके अच्छे प्रदर्शन की भावना प्रेषित की है,, तो निश्चित है कि कमजोर i.q. वाले भी बेहतर प्रदर्शन करने लगते हैं ! बार-बार उनके साथ अलग व्यवहार करने ,उसके साथियों का झूठा प्रदर्शन करके भी अच्छा बनाने के लिए किया जा सकता है!
लोगों की कमजोरियों पर नहीं, उसकी शक्तियों पर ध्यान दीजिए ! लोगों में अच्छाइयां और कमियां दोनों ही पाई जाती हैं ! इसलिए हमें चुनना होगा कि हम लोगों में शक्तियों के आधार पर उनका निर्माण करेंगे या उनकी कमजोरियों को गिना गिना कर उन्हें नष्ट करते ही रहेंगे ! लोगों के पीठ पीछे उनकी आलोचना करना और निंदा करने के माहौल से दूर हो जाइए ! और सिर्फ लोगों की शक्तियों को ही महत्त्व दीजिए आप अपने ही सुधार के नजरिए से,आप अपने इस उदार नजरिए से, आप लोगों को प्रेरित करते हैं कि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ अपना बेस्ट देने की कोशिश करेंगे ! अतः लोगों की कमजोरियों को बायकॉट करिए सिर्फ उनकी शक्तियों पर ध्यान दीजिए ! और सही दिशा दीजिए ! हम सब में बहुत से स्पष्ट दोष हुआ करते हैं लेकिन एक दूसरे को पसंद करते हैं !और प्रेरित करते हैं ! प्रायः समान विचार वाले लोगों का समूह बन जाया करता है ! लेकिन हमें सिर्फ लोगों की शक्तियों को देखना चाहिए  जिससे एक positive माहौल बन जाता है और लोगों में positive changes होने लगते हैं !!

 लोगों की कमजोरियों को छोड़िए उनकी शक्तियों पर ध्यान दीजिए :-

 लोगों में अच्छाइयां और कमजोरियां दोनों ही होती हैं, इसलिए हमें यह चुनना होगा कि हम लोगों की शक्तियों के आधार पर उनका निर्माण करेंगे या उनकी कमजोरियों को गिना गिना करके उन्हें कोसते ही रहेंगे ।
 लोगों के पीठ पीछे उनकी बुराइयां करना ,उनकी आलोचना करना, उनकी निंदा करना, इन प्रकार की माहौल से दूर हो जाइए और सिर्फ लोगों की शक्तियों और अच्छाइयों पर ही ध्यान दीजिए । आपका यह नजरिया लोगों को प्रेरित करता है ,और लोग भी अपनी पूरी क्षमता के साथ अपना बेस्ट देने की कोशिश करते हैं । इसलिए लोगों की कमजोरियों को बाय काट कीजिए । सिर्फ उनकी शक्तियों पर ही ध्यान दीजिए । और सही डायरेक्शन दीजिए । हम सभी में बहुत सारे कमजोरियां या दोष हुआ करते हैं फिर भी हम एक दूसरे को पसंद करते हैं । हम एक दूसरे को मोटिवेट करते रहते हैं । अक्सर एक समान विचारधारा वाले लोगों का समूह बन जाया करता है । इस प्रकार अच्छी विचारधारा वाले व्यक्तियों का समूह बने, तो सकारात्मक परिणाम मिलते हैं । इसलिए हमें सिर्फ लोगों की शक्तियों को ही देखना चाहिए । उनकी और एक समान विचारधारा वाले लोगों का समूह या सामूहिक ग्रुप बना लेना चाहिए । इससे पॉजिटिव माहौल बन जाता है और लोगों मे positive चेंज होते हैं ।

 माहौल की शक्ति को पहचानिए:-

 सक्सेस पाने वाले लोग दो प्रकार के होते हैं, एक वे होते हैं जो जीनियस माइंडेड कहलाते हैं । बड़ी सफलता प्राप्त करने की योग्यता सिर्फ जीनियस माइंडेड में ही होती है । और यह दुर्लभ किस्म के प्राणी होते हैं । सभी व्यक्तियों में यह योग्यता नहीं पाई जाती है ।
 दूसरी सफलता वह है जिसमें एक सामान्य गुण वाला व्यक्ति भी काफी ऊंचाइयों को हासिल कर लेता है । ऐसे लोग अपनी सामान्य गुणों को असामान्य रूप से विकसित कर लेते हैं । और सफलता प्राप्त करते हैं । यह लोग अपने आसपास के माहौल से सीखते हैं। यह लोग अपनी कमियों को खामियों को ढूंढते हैं और उन्हें दूर करते हैं। आप भी अपनी कमियों को ढूंढिए और दूर कीजिए। आप ऐसे लोगों की मदद कर सकते हैं। आप उन्हें ऐसा माहौल पाने में मददगार हो सकते हैं जिसमें सामान्य लोग अपनी योग्यताओं को प्रतिभाओं को पहचान सके खोज सके और अपना विकास कर सकें।
 सामान्य लोगों को ऐसे माहौल की जरूरत होती है जिसमें वे अपने आप को पहचान सके ।अपनी योग्यता को पैदा कर सकें। और योग्यताओं को बढ़ा सकें और किसी भी फील्ड में  विशेषज्ञता या स्पेशलिटी हासिल कर सकें । दुनिया में अपनी पहचान स्थापित कर सकें । इसलिए ऐसे लोगों पर आप ध्यान देकर उनके लिए माहौल का निर्माण करें । आप उनकी मदद कर सकते हैं ।और खुद भी प्रेरित होने के साथ-साथ उन्हें भी प्रेरित कर सकते हैं ।
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